माघ शुक्ल की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का उत्सव मनाया जाता है। सनातन धर्म के लोगों के लिए ये दिन बहुत खास होता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन ज्ञान की देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं। इसलिए इस दिन माता सरस्वती की पूजा की जाती है। इसके साथ ही बसंत पंचमी के दिन से ही मथुरा-वृंदावन में होली का उत्सव शुरू होता है जो 40 दिन तक चलता है। इस बार बसंत पंचमी की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इस साल यह तिथि 2 दिन पड़ रही है, बता दें कि 2 और 3 फरवरी को बसंत पंचमी बताई जा रही है। 2 या 3 फरवरी किस दिन मनाई जाएगी बसंत पंचमी, यह जानना भी जरूरी है। आइए आपको बताते हैं बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है।
पंचांग के अनुसार, माघ शुक्ल पंचमी तिथि 2 फरवरी को सुबह 9:14 बजे से 3 फरवरी को सुबह 6:52 बजे तक है। उदया तिथि के अनुसार, बसंत पंचमी 2 फरवरी को मनाई जाएगी। 2 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 9 मिनट से शुरू होगा, जो दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा।
बसंत पंचमी देवी सरस्वती को समर्पित दिन है, और इस दिन बुद्धि और शिक्षा के लिए जातक मां सरस्वती की पूजा अर्चना करते हैं। पूजा करने से पहले भक्त अपने घरों और अध्ययन के स्थानों को साफ करते हैं। पूजा में आमतौर पर देवी की मूर्ति या तस्वीर के पास किताबें, संगीत वाद्ययंत्र और सीखने से संबंधित उपकरण रखे जाते हैं, और पढ़ाई और काम में सफलता के लिए आशीर्वाद मांगते हैं।
अपरा एकादशी का व्रत जेष्ठ माह के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है, जो विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा का दिन होता है। एकादशी का दिन भगवान विष्णु के समर्पण और कृपा प्राप्त करने के सर्वोत्तम दिन के रूप में जाना जाता है।
इस साल अपरा एकादशी 23 मई 2025 को मनाई जाएगी। यह तिथि विशेष रूप से धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जाती है। क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा होती है।
प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में भगवान शिव की उपासना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। इस साल आने वाला ‘शनि प्रदोष व्रत’ शनिवार, 24 मई को मनाया जाएगा। यह विशेष रूप से शुभ माना जा रहा है, क्योंकि यह ‘शिव योग’ में पड़ रहा है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाने वाली ‘मासिक शिवरात्रि’ भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावशाली व्रत माना जाता है।