प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में भगवान शिव की उपासना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। इस साल आने वाला ‘शनि प्रदोष व्रत’ शनिवार, 24 मई को मनाया जाएगा। यह विशेष रूप से शुभ माना जा रहा है, क्योंकि यह ‘शिव योग’ में पड़ रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब प्रदोष व्रत शिववास योग में आता है, तब इसका फल कई गुना बढ़ जाता है और भक्तों को विशेष आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है।
शिववास योग वह विशेष काल होता है जब भगवान शिव का वास पृथ्वी लोक पर माना जाता है। इस योग में की गई पूजा-अर्चना, व्रत और उपवास का प्रभाव अत्यंत तेज होता है। इस साल शनि प्रदोष व्रत ऐसे ही शुभ संयोग में मनाया जाएगा। इस अवसर पर व्रत करने और भगवान शिव के मंत्रों का जाप करने से न केवल कष्टों से मुक्ति मिलती है, बल्कि शनि दोष जैसे अशुभ ग्रहों के प्रभाव भी कम होते हैं।
रविवार व्रत की पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक बुढ़िया रहती थी। वह नियमित रूप से रविवार का व्रत करती।
समतापुर नगर में मधुसूदन नामक एक व्यक्ति रहता था। वह बहुत धनवान था। मधुसूदन का विवाह बलरामपुर नगर की सुंदर लड़की संगीता से हुआ था।
सालों पहले नल नामक एक राजा राज किया करते थे। उनकी पत्नी का नाम दमयंती था। दोनों अपने दो बेटों के साथ सुखी जीवन जी रहे थे।
प्राचीनकाल में एक गरीब पुजारी हुआ करता था। उस पुजारी की मृत्यु के बाद उसकी विधवा पत्नी अपने भरण-पोषण के लिए पुत्र को साथ लेकर भीख मांगती हुई शाम तक घर वापस आती थी।