हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाने वाली ‘मासिक शिवरात्रि’ भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावशाली व्रत माना जाता है। इस साल ज्येष्ठ मास की मासिक शिवरात्रि 25 मई, रविवार को मनाई जाएगी। इस व्रत का विशेष महत्व होता है क्योंकि इसे विधिपूर्वक करने से भक्तों के सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही, शिव जी का आशीर्वाद जीवन में सुख-शांति, आरोग्यता और समृद्धि लाता है।
इस साल चतुर्दशी तिथि 25 मई को दोपहर 03:51 बजे से शुरू होगी और 26 मई को दोपहर 12:11 बजे चतुर्दशी तिथि समाप्त होगी। रात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त 25 मई की रात 11:58 मिनट से 26 मई की सुबह 12:38 मिनट तक रहेगा। यह समय ‘निशीथ काल’ कहलाता है और इसी काल में शिवजी की पूजा करना सबसे पुण्यदायी माना गया है।
भगवान दत्तात्रेय को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का ही अंश माना जाता है। माता अनुसूया की कठिन साधना के फलस्वरूप ये तीनों देव ही भगवान दत्तात्रेय के रूप में अवतरित हुए थे।
मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा के दिन भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनों देवों के अंश माने जाने वाले भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था। भगवान दत्तात्रेय को गुरु और भगवान दोनों की उपाधि दी गई है।
वैदिक पंचांग के अनुसार 15 दिसंबर को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाएगी। यह पर्व हर वर्ष मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन अन्न की देवी मां अन्नपूर्णा और भगवान शिव की पूजा होती है।
माता अन्नपूर्णा अन्न की देवी मानी जाती हैं। इस कारण इस दिन भूल से भी किसी तरह के अन्न का अनादर नहीं करना चाहिए।