ललिता जयंती का पर्व हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। ललिता माता आदिशक्ति त्रिपुर सुंदरी, जगत जननी मानी जाती हैं। मान्यता है कि देवी के दर्शन मात्र से ही भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। माघ पूर्णिमा के दिन मां ललिता की आराधना करना अत्यंत शुभकारी माना जाता है। माता ललिता को राजेश्वरी, षोडशी, त्रिपुरा सुंदरी आदि नामों से भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, माता ललिता दस महाविद्याओं में तीसरी महाविद्या मानी जाती हैं। आइए जानते हैं कि मां ललिता की पूजा विधि क्या है।
शारदीय नवरात्रि के पंचम दिन स्कंद माता के साथ मां सती स्वरूपा ललिता देवी की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन व्रत और पूजा करने से वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियां दूर होती हैं, रोग एवं कष्ट समाप्त होते हैं और भक्त को संतान सुख की प्राप्ति होती है। साथ ही, जीवन के समस्त सुख भोगकर अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।
अपने रंग रंगलो गजानन,
दिल तुम्हारा हो गया,
बजरंगबली हनुमान,
तेरा जग में डंका बाज रया ॥
बजरंगी बलशाली,
तेरा पार ना कोई पाए,
बजरंगी महाराज,
तुम्हे भक्त बुलाते है,