जया एकादशी का सनातन धर्म में खास महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। जया एकादशी पर यहां दिए 5 उपायों को करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और व्यक्ति को सभी तरह के कष्टों से भी मुक्ति मिलती है। ऐसे में व्रत रखने के साथ ही इस दिन क्या उपाय आपको लाभ दिला सकते हैं, आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत शुक्रवार, 7 फरवरी को रात 9 बजकर 26 मिनट पर होगी और तिथि का समापन शनिवार, 8 फरवरी को रात 8 बजकर 15 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, इस बार जया एकादशी का व्रत 8 फरवरी को रखा जाएगा।
जया एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ आपको तुलसी का पूजन करने से भी लाभ मिलता है। इस दिन आपको तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाकर “ॐ विष्णवे नमः” मंत्र का जप करना चाहिए। यह आसान सा उपाय आपके जीवन में सुख-समृद्धि लेकर आता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जया एकादशी के दिन तुलसी के पत्तों को लाल कपड़े में बांधकर भगवान विष्णु के मंत्र का जाप करते हुए घर की तिजोरी में रखा चाहिए। इसके बाद पूजा के दौरान उन्हीं पत्तों को देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु को अर्पित करें। इससे आपके घर में आर्थिक लाभ हो सकता है।
जया एकादशी के दिन लाल कपड़ा तैयार करके उसमें विवाह का सामान रखते हैं। फिर इसे देवी लक्ष्मी को अर्पित करें। अगर आप इस उपाय को अपनाएंगे तो आपके वैवाहिक जीवन में होने वाली परेशानियां दूर हो जाएंगी। साथ ही परिवारों के बीच प्यार बना रहेगा।
जया एकादशी के दिन रातभर जागरण करते हुए भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करना और भजन करना बहुत लाभकारी माना जाता है। इससे आपकी आध्यात्मिक ऊर्जा में वृद्धि होती है और विष्णु-लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है।
जया एकादशी के दिन आपको गजेंद्र मोक्ष, विष्णु सहस्त्रनाम या नारायण कवच में से किसी एक का पाठ अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से आपके जीवन की सभी समस्याएं दूर होती हैं और हर क्षेत्र में प्रगति मिलती है।
परशुराम जयंती, भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आता है, जिसे अक्षय तृतीया भी कहा जाता है और अक्षय तृतीया के साथ इसका संयोग इस दिन को और भी शुभ बनाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह की अमावस्या तिथि का विशेष धार्मिक महत्व है। यह तिथि पितरों की शांति के लिए विशेष मानी जाती है और इस दिन स्नान, दान, जप, और तर्पण करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
परशुराम जयंती सनातन धर्म के एक अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह पर्व भगवान विष्णु के छठे अवतार, परशुराम जी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।
सनातन धर्म के परंपरा में अन्वाधान और इष्टि जैसे पर्व का विशेष महत्व है। ये दोनों वैष्णव संप्रदाय से जुड़े श्रद्धालुओं के अनुष्ठान हैं जो विशेष रूप से अमावस्या, पूर्णिमा और शुभ मुहूर्तों पर किए जाते हैं।