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अप्रैल 2025 इष्टि-अन्वाधान

अप्रैल 2025 इष्टि-अन्वाधान

अप्रैल महीने की इष्टी और अन्वाधान की तिथि और उपाय, इससे होती है सभी मनोकामनाएं पूर्ण 


सनातन धर्म के परंपरा में अन्वाधान और इष्टि जैसे पर्व का विशेष महत्व है। ये दोनों वैष्णव संप्रदाय से जुड़े श्रद्धालुओं के अनुष्ठान हैं जो विशेष रूप से अमावस्या, पूर्णिमा और शुभ मुहूर्तों पर किए जाते हैं। इस साल अप्रैल महीना में अन्वाधान व्रत 27 अप्रैल को और इष्टि व्रत 28 अप्रैल को मनाया जाएगा। 


वैष्णव संप्रदाय के श्रद्धालु रखते हैं अन्वाधान पर उपवास 

अन्वाधान व्रत वैशाख मास की अमावस्या के अवसर पर रखा जाता है। संस्कृत में ‘अन्वाधान’ का अर्थ होता है हवन के बाद अग्नि को जलाएं रखने के लिए ईंधन जोड़ना। इसका प्रमुख कार्य हवन की अग्नि को प्रज्वलित रखना होता है क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अग्नि का बुझ जाना अशुभ संकेत माना होता है।

इस दिन वैष्णव संप्रदाय के श्रद्धालु उपवास करते हैं और विधिवत रूप से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। साथ ही, अन्वाधान पर्व के दौरान अग्नि को जलाए रखने के लिए उसमें समिधा, घी और हवन सामग्री नियमित रूप से अर्पित की जाती है। यह कार्य न केवल पवित्रता और धर्म का प्रतीक है, बल्कि यह मानसिक एकाग्रता और अनुशासन भी सिखाता है।


इष्टि अनुष्ठान से होती है संतान की प्राप्ति

इष्टि का शाब्दिक अर्थ ‘भेंट’ है। यह अनुष्ठान किसी विशेष मनोकामना या कार्य की पूर्ति के लिए किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस पर्व को संतान की प्राप्ति, धन की वृद्धि, सफलता और परिवार की समृद्धि के लिए करना फलदायक माना जाता है और इस वर्ष इष्टि व्रत 28 अप्रैल को मनाया जाएगा। 


विष्णु सहस्त्रनाम का करें पाठ

  • सुबह के समय स्नान कर स्वच्छ और पवित्र स्थान पर वेदी बनाएं।  
  • फिर अग्नि प्रज्वलित कर उसमें घी, तिल, जौ, फल व अनाज की आहुति दें।  
  • साथ ही, विष्णु सहस्त्रनाम पढ़ें तथा  विष्णु मंत्र का जाप करें और भगवान विष्णु के भजन गाएं।  
  • पूजा के अंत में आरती करें और परिवार के सदस्यों में प्रसाद बांटें।


इष्टि और अन्वाधान के दिन करें जरुरतमंदों को दान

  • इस दिन चंद्र दर्शन अवश्य करें और ‘श्री चंद्राय नमः’ मंत्र का 108 बार जप करें।
  • भगवान विष्णु को तुलसी और पीले फूल अर्पित करें।
  • जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और तिल का दान करें।
  • व्रत के दिन सात्विक भोजन करें और झूठ बोलने तथा गुस्सा करने से बचें।
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