हिंदू धर्म में सप्ताह के हर दिन का अलग धार्मिक महत्व होता है। सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है और इस दिन का व्रत करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायी माना गया है जो जीवन में किसी परेशानी, रोग, विवाह में बाधा या मानसिक अशांति से जूझ रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं सोमवार का व्रत क्यों किया जाता है और क्या है इस दिन का धार्मिक महत्व।
सोमवार के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि जो व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास के साथ सोमवार का व्रत करता है, उस पर शिव जी की विशेष कृपा होती है। खासकर सावन के महीने में सोमवार का व्रत और भी ज्यादा फलदायी होता है। कहा जाता है कि इस व्रत से न सिर्फ विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं, बल्कि वैवाहिक जीवन भी सुखमय बनता है। यही कारण है कि कुंवारी कन्याएं मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए और विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए इस व्रत को करती हैं।
सोमवार व्रत से जुड़ी एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार एक गरीब ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने भगवान शिव की भक्ति करते हुए सोमवार का व्रत शुरू किया। कुछ ही समय में उनके जीवन में चमत्कारी बदलाव आने लगे और उनकी गरीबी दूर हो गई। इस कथा से यह संदेश मिलता है कि सच्चे मन से शिव जी की आराधना करने पर हर समस्या का समाधान संभव है। एक अन्य कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठिन तप किया और सोमवार का व्रत रखा था, जिससे प्रसन्न होकर शिव जी ने उन्हें अपनी अर्धांगिनी बनाया।
सोमवार का व्रत करने से कई प्रकार के लाभ मिलते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सोमवार का व्रत करने से मन की शांति मिलती है, रोगों से मुक्ति मिलती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। इसके अलावा विवाहित स्त्रियों को इससे वैवाहिक जीवन में सामंजस्य और प्रेम बना रहता है। वहीं, कुंवारी कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति होती है। साथ ही, यह व्रत आर्थिक परेशानियों और कर्ज से मुक्ति दिलाने में भी सहायक माना गया है।
सोमवार का व्रत करने के लिए व्यक्ति को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। इस दिन स्वच्छ वस्त्र पहनकर शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। दूध, जल, शहद, दही, बेलपत्र, भस्म और गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करें। फिर 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करें। दिनभर व्रत रखें या फलाहार लें। इस दिन एक समय सात्विक भोजन ले सकते हैं। शाम को फिर से शिव जी की पूजा कर आरती करें और व्रत कथा पढ़ें। इस बात का खास ध्यान रखें कि इस दिन झूठ बोलने, गुस्सा करने और नकारात्मक विचारों से बचना चाहिए।
मुझे दास बनाकर रख लेना,
भगवान तू अपने चरणों में,
मेरी भक्ति के बदले वचन देना,
मुझे झुँझनु में अगला जनम देना ॥
मुझे कैसी फिकर सांवरे,
साथ तेरा है गर सांवरे,
मुझे खाटू बुलाया है,
मुझको बधाई दो सभी,