मुझे दास बनाकर रख लेना,
भगवान तू अपने चरणों में,
मुझे दास बनाकर रख लेना,
भगवान तू अपने चरणों में,
भगवान तू अपने चरणों में,
भगवान तू अपने चरणों में,
मुझें दास बनाकर रख लेना,
भगवान तू अपने चरणों में ॥
मैं भला बुरा हूँ तेरा हूँ,
मैं भला बुरा हूँ तेरा हूँ,
तेरे द्वार पे डाला डेरा हूँ,
तेरे द्वार पे डाला डेरा हूँ,
मुझे चाकर जान के रख लेना,
मुझे चाकर जान के रख लेना,
भगवान तू अपने चरणों में,
मुझें दास बनाकर रख लेना,
भगवान तू अपने चरणों में ॥
जब अधम से, अधम को तारा है,
जब अधम से, अधम को तारा है,
उसमे ही नाम हमारा है,
उसमे ही नाम हमारा है,
मुझे भार समझ कर रख लेना,
मुझे भार समझ कर रख लेना,
भगवान तू अपने चरणों में,
मुझें दास बनाकर रख लेना,
भगवान तू अपने चरणों में ॥
मुझे दास बनाकर रख लेना,
भगवान तू अपने चरणों में,
भगवान तू अपने चरणों में,
भगवान तू अपने चरणों में,
मुझें दास बनाकर रख लेना,
भगवान तू अपने चरणों में ॥
सनातन धर्म में दिवाली का पर्व विशेष महत्व रखता है। यह पर्व हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है।
सनातन हिंदू धर्म के अनुयायी हर साल सावन माह की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाते हैं। इस साल रक्षाबंधन 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। हालांकि, इस दिन भद्रा काल का साया भी रहेगा, जिसे अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि भद्रा काल में राखी बांधना शुभ नहीं होता।
दिवाली का दिन महालक्ष्मी का वरदान पाने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। दीपावली की रात सबसे अधिक अंधेरी होती है, और मान्यता है कि इस रात महालक्ष्मी पृथ्वी का भ्रमण करती हैं।
धनतेरस का पर्व प्रति वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अपने हाथ में अमृत से भरा कलश लेकर प्रकट हुए थे।