मुझे खाटू बुलाया है,
मुझको बधाई दो सभी,
बाबा श्याम ने बुलाया है,
मुझें खाटू बुलाया है,
मुझको रोको ना कोई,
बाबा श्याम ने बुलाया है ॥
मैं निशान उठाऊंगा,
मैं निशान उठाऊंगा,
रींगस से पैदल चलकर के,
बाबा श्याम को चढ़ाऊंगा ॥
तोरण द्वार जब पहुंचूंगा,
तोरण द्वार जब पहुंचूंगा,
शीश झुकाकर सांवरे,
तेरे चरणों को चूमूंगा ॥
लम्बी लम्बी कतारें है,
लम्बी लम्बी कतारें है,
हमको जीता दो सांवरे,
हम भी दुनिया से हारे है ॥
बड़ी दूर से आया हूँ,
एक फूल मैं लाया हूँ,
इसे स्वीकार कर लो,
सच्ची भावना से लाया हूँ ॥
मैं जल्दी आऊंगा,
मैं जल्दी आऊंगा,
काम बनाना सांवरे,
तेरा शुकर मनाऊंगा,
तेरे भजनो को गाऊंगा ॥
मुझे खाटू बुलाया है,
मुझको बधाई दो सभी,
बाबा श्याम ने बुलाया है,
मुझें खाटू बुलाया है,
मुझको रोको ना कोई,
बाबा श्याम ने बुलाया है ॥
प्रयागराज का महाकुंभ हमेशा से ही अद्भुत दृश्यों और आध्यात्मिक अनुभवों का केंद्र रहा है। इस बार भी महाकुंभ ने लोगों को हैरान करते हुए कई अनोखे किस्से दिए हैं। आईआईटी से पढ़े बाबा को देखा और यूट्यूबर की चिमटे और मोर पंख से पिटाई भी देखी।
आस्था की संगम नगरी प्रयागराज इस समय महाकुंभ के रंग में पूरी तरह रंगी हुई है। 13 जनवरी से शुरू हुए इस महाकुंभ के लिए भारत के विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत भव्य पेशवाई के साथ महाकुंभ नगर में प्रवेश कर चुके हैं।
प्रयागराज का महाकुंभ अपने आप में एक अद्भुत नजारा है। लाखों श्रद्धालुओं के साथ-साथ, हजारों साधु-संत भी यहां आते हैं। इनमें नागा साधुओं का अपना ही महत्व है। इनका कठोर तप और त्याग सभी को प्रेरित करता है।
महाकुंभ में सबसे खास होता है शाही स्नान, शाही स्नान के साथ-साथ इस मेले का मुख्य आकर्षण नागा साधु भी होते हैं। महाकुंभ का पहला अमृत स्नान किया जा चुका है, जिसमें करोड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई।