Guruwar Daan: गुरुवार का दिन धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन को बृहस्पति देव यानी देवताओं के गुरु का दिन कहा गया है। माना जाता है कि इस दिन सही तरीके से पूजा और दान करने से जीवन में सुख-समृद्धि, ज्ञान, संतान सुख और मान-सम्मान में वृद्धि होती है। ऐसे में आइए जानते हैं गुरुवार को किन चीजों का दान करने से विशेष लाभ मिल सकता है।
बृहस्पति देव को ज्ञान, धर्म, न्याय और गुरु का प्रतीक माना गया है। जिन लोगों की कुंडली में गुरु कमजोर होता है, उनके जीवन में आर्थिक समस्याएं, विवाह में अड़चन और करियर में रुकावट आती हैं। ऐसे में बृहस्पति को प्रसन्न करने के लिए गुरुवार को कुछ विशेष उपाय और दान करना बहुत शुभ होता है।
1. पीले वस्त्र दान करें
गुरुवार का रंग पीला होता है। यह रंग बृहस्पति देव को प्रिय है। इस दिन किसी गरीब या ब्राह्मण को पीले रंग के वस्त्र दान करना बहुत फलदायक माना जाता है। यह दान ज्ञान, वैवाहिक सुख और आर्थिक समृद्धि लाता है।
2. चना दाल और गुड़ का दान
चना दाल और गुड़ दोनों ही बृहस्पति देव को अर्पित करने योग्य माने जाते हैं। इन्हें पीले कपड़े में बांधकर किसी जरूरतमंद को दान करें।
3. पीले फल जैसे केला और आम का दान
गुरुवार को पीले फलों का दान करने से भाग्य मजबूत होता है। खासकर केला और आम जैसे फलों का गरीबों को दान करना शुभ माना जाता है। इससे जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
4. हल्दी और पीले चावल
हल्दी एक पवित्र वस्तु मानी जाती है। गुरुवार को हल्दी और पीले चावल (जो हल्दी में रंगे हों) दान करने से गुरु ग्रह मजबूत होता है। यह उपाय खासकर शिक्षा, करियर और विवाह में लाभकारी होता है।
5. केसर या केसर मिला दूध
गुरुवार को केसर या उसमें मिला हुआ दूध भगवान विष्णु या बृहस्पति देव को अर्पित करें और फिर थोड़ी मात्रा में किसी जरूरतमंद को दें। इससे वाणी में मिठास और रिश्तों में मजबूती आती है।
रु ग्रह नीच का है या बृहस्पति की महादशा चल रही है, तो गुरुवार का दान आपके लिए अत्यंत शुभ हो सकता है। इसके अलावा जिन लोगों के जीवन में विवाह में देरी हो रही है, संतान प्राप्ति में समस्या है या शिक्षा में बाधा आ रही है, उन्हें भी यह दान अवश्य करना चाहिए।
हिंदू धर्म में प्रकृति को विशेष महत्व दिया जाता है। इसमें, वृक्षों से लेकर पशु-पक्षियों तक को पूजनीय माना जाता है। नदियां को भारतीय संस्कृति में पवित्र और पूजनीय माना गया है।
हिंदू धर्म में, सूर्यदेव का विशेष स्थान है। वे नवग्रहों में प्रमुख माने जाते हैं। साथ ही स्वास्थ्य, ऊर्जा और सकारात्मकता के प्रतीक हैं।
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पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत के युद्ध में गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी भीष्म पितामह ने अपने इच्छामृत्यु के वरदान के कारण तत्काल देह त्याग नहीं किया।