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शेंरावाली दा चोला सुहा लाल, लाल माँ नु प्यारा लागे (Sherawali Da Chola Suha Lal Lal Maa Nu Pyara Lage)

शेंरावाली दा चोला सुहा लाल, लाल माँ नु प्यारा लागे (Sherawali Da Chola Suha Lal Lal Maa Nu Pyara Lage)

शेरावाली दा चोला सुहा लाल,

लाल माँ नु प्यारा लागे ॥


मैया जी दे सिर उते चुनरी है सजदी,

मैया जी दे सिर उते चुनरी है सजदी,

माँ दी चुनरी दा रंग सुहा लाल,

लाल माँ नु प्यारा लागे,

शेंरावाली दा चोला सुहा लाल,

लाल माँ नु प्यारा लागे ॥


मैया जी दे मत्थे उते बिंदिया चमकदी,

मैया जी दे मत्थे उते बिंदिया चमकदी,

माँ दी बिंदिया दा रंग भी है लाल,

लाल माँ नु प्यारा लागे,

शेंरावाली दा चोला सुहा लाल,

लाल माँ नु प्यारा लागे ॥


मैया जी दे हत्था विच मेहंदी महकदी,

मैया जी दे हत्था विच मेहंदी महकदी,

माँ दी मेहंदी दा रंग गहरा लाल,

लाल माँ नु प्यारा लागे,

शेंरावाली दा चोला सुहा लाल,

लाल माँ नु प्यारा लागे ॥


मैया जी दी बाहि विच चुड़िया खनकती,

माँ दी चूड़ियां दा रंग भी है लाल,

लाल माँ नु प्यारा लागे,

शेंरावाली दा चोला सुहा लाल,

लाल माँ नु प्यारा लागे ॥


‘संजू बिमला’ तो माँ दा श्रृंगार करदी,

‘संजू बिमला’ तो माँ दा श्रृंगार करदी,

‘राणा’ लिखे गुण बण तेरा लाल,

लाल माँ नु प्यारा लागे,

शेंरावाली दा चोला सुहा लाल,

लाल माँ नु प्यारा लागे ॥


शेरावाली दा चोला सुहा लाल,

लाल माँ नु प्यारा लागे ॥

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परी अखाड़े का इतिहास क्या है

प्रयागराज में महाकुंभ 13 जनवरी से शुरू हो रहा है। सभी 13 अखाड़े शाही स्नान के लिए पहुंच गए हैं।लेकिन महिलाओं का एक अखाड़ा बेहद चर्चा में बना हुआ है। बता दें कि महिलाओं के परी अखाड़े को प्रयाग महाकुंभ की व्यवस्थाओं से खुश नहीं है।

प्रयाग को त्रिवेणी संगम क्यों कहते हैं?

महाकुंभ की शुरुआत में अब 20 दिन से कम समय बचा है। सारे अखाड़े भी शाही स्नान के लिए प्रयागराज पहुंच गए हैं। यह हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक प्रक्रिया है।

क्या सच में विलुप्त हो गई है सरस्वती नदी?

प्रयागराज को तीर्थों का राजा कहा जाता है। इस शहर में हिंदुओं के कई धार्मिक स्थान मौजूद हैं। इन्हीं में से एक है प्रयागराज का विश्व प्रसिद्द त्रिवेणी संगम। महाकुंभ में इस संगम पर स्नान करने के लिए करोड़ों श्रद्धालु आते हैं।

चंद्र ग्रहण में क्यों नहीं करना चाहिए भोजन ?

आपने अक्सर सुना होगा कि ग्रहण के दौरान खाना अशुभ होता है और लोग तुलसी के पत्ते का उपयोग क्यों करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण एक अशुभ घटना मानी जाती है। इस दौरान भोजन करने से व्यक्ति के किए गए सभी पुण्य नष्ट हो जाते हैं।

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