रंग बरसे लाल गुलाल,
हो गुलाल,
वृषभानलली के मन्दिर में,
सब हो गए लालों लाल, राधा रानी के मन्दिर में ॥
भीगे चुनरी चोली दामन,
मुख हो गए लाल गुलाल,
हो गुलाल,
वृषभानलली ॥
सुन सुन कर साजों की सरगम,
सब नाचें बजाकर ताल,
हो ताल,
वृषभानलली ॥
राधा रूप छटा मन मोहिनी,
कर दरस हो मनवा निहाल,
निहाल,
वृषभानलली ॥
मन ‘मधुप’ डूबा रंग रस में,
सब बोलें जय जयकार,
जयकार,
वृषभानलली ॥
विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥
आदौ राम तपोवनादि गमनं हत्वाह् मृगा काञ्चनं
वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव संभाषणं
बंशी शोभित कर मधुर, नील जलद तन श्याम ।
अरुण अधर जनु बिम्बफल, नयन कमल अभिराम ॥
जयकाली कलिमलहरण, महिमा अगम अपार ।
महिष मर्दिनी कालिका, देहु अभय अपार ॥