भगवा रंग चढ़ा है ऐसा,
और रंग ना भाएगा,
जय श्री राम के नाम का नारा,
घर घर से अब आएगा,
अयोध्या की नगरी में अब,
केसरिया लहराएगा,
केसरिया केसरिया म्हारो,
केसरिया केसरिया ॥
मात्र भूमि के कण कण पर अब,
राम नाम लिखा जाएगा,
भारत माता हर्ष रही है,
श्री राम घर आएगा,
अयोध्या की नगरी में अब,
केसरिया लहराएगा,
केसरिया केसरिया म्हारो,
केसरिया केसरिया ॥
हनुमत को रंग ऐसा चढ़ा है,
राम नाम गुण गाएगा श्री,
राम की जन्मभूमि पर,
स्वर्ण मंदिर बन जाएगा,
अयोध्या की नगरी में अब,
केसरिया लहराएगा,
केसरिया केसरिया म्हारो,
केसरिया केसरिया ॥
दासमोहन श्री राम की,
माला जपते ही आएगा,
विजय राव ओर सुनीता को,
भगवा रंग चढ़ जाएगा,
अयोध्या की नगरी में अब,
केसरिया लहराएगा,
केसरिया केसरिया म्हारो,
केसरिया केसरिया ॥
भगवा रंग चढ़ा है ऐसा,
और रंग ना भाएगा,
जय श्री राम के नाम का नारा,
घर घर से अब आएगा,
अयोध्या की नगरी में अब,
केसरिया लहराएगा,
केसरिया केसरिया म्हारो,
केसरिया केसरिया ॥
जानकी जी के विभिन्न नामों में सीता, मैथिली और सिया प्रमुख हैं। जानकी जयंती के अवसर पर रामचरित मानस की चौपाइयों का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है। यहां कुछ चौपाइयां दी गई हैं जो राम भक्ति से परिपूर्ण हैं।
विजया एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता है। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत महत्व है।
हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु के निमित्त व्रत किया जाता है। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहते हैं, जिसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है।
विजया एकादशी के दिन व्रती जातकों को कुछ नियमों का पालन करना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। साथ ही इस दिन क्या करें और क्या करने से बचना चाहिए। इसके बारे में भक्त वत्सल के इस लेख में जानते हैं।