परिश्रम करे कोई कितना भी लेकिन,
कृपा के बिना काम चलता नहीं है ।
निराशा निशा नष्ट होती ना तब तक,
दया भानु जब तक निकलता नहीं है ।
दमित वासनाये, अमित रूप ले जब,
अंतः-करण में, उपद्रव मचाती ।
तब फिर कृपासिंधु, श्री राम जी के,
अनुग्रह बिना, काम चलता नहीं है ।
(अनुग्रह बिना, मन सम्हलता नहीं है)
परिश्रम करे कोई कितना भी लेकिन,
कृपा के बिना काम चलता नहीं है ।
म्रगवारी जैसे, असत इस जगत से,
पुरुषार्थ के बल पे, बचना है मुश्किल ।
श्री हरि के सेवक, जो छल छोड़ बनते,
उन्हें फिर ये, संसार छलता नहीं है ।
परिश्रम करे कोई कितना भी लेकिन,
कृपा के बिना काम चलता नहीं है ।
सद्गुरू शुभाशीष, पाने से पहले,
जलता नहीं ग्यान, दीपक भी घट में ।
बहती न तब तक, समर्पण की सरिता,
अहंकार जब तक, कि गलता नहीं ।
परिश्रम करे कोई कितना भी लेकिन,
कृपा के बिना काम चलता नहीं है ।
राजेश्वरानन्द, आनंद अपना,
पाकर ही लगता है, जग जाल सपना ।
तन बदले कितने भी, पर प्रभु भजन बिन,
कभी जन का, जीवन बदलता नहीं ।
परिश्रम करे कोई कितना भी लेकिन,
कृपा के बिना काम चलता नहीं है ।
निराशा निशा नष्ट होती ना तब तक,
दया भानु जब तक निकलता नहीं है ।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा इस वर्ष 15 दिसंबर को मनाई जा रही है। यह पर्व हिन्दू धर्म में लक्ष्मीनारायण की पूजा का एक पवित्र और शुभ अवसर है।
मार्गशीर्ष माह भगवान कृष्ण, जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित होता है। ऐसे में इस माह में जो पूर्णिमा तिथि आती है।
साल 2024 की आखिरी पूर्णिमा मार्गशीर्ष पूर्णिमा है, जो 15 दिसंबर को पड़ रही है। यह पूर्णिमा तिथि लक्ष्मीनारायण की पूजा के लिए विशेष रूप से समर्पित है और इसके शुभ प्रभाव से जीवन में सुख-समृद्धि और धन-वैभव की प्राप्ति होती है।
सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है, और मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा तिथि को साल की आखिरी पूर्णिमा तिथि होने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।