ॐ जय गौरी नंदा,
प्रभु जय गौरी नंदा,
गणपति आनंद कंदा,
गणपति आनंद कंदा,
मैं चरणन वंदा,
ॐ जय गौरी नंदा ॥
सूंड सूंडालो नयन विशालो,
कुण्डल झलकंता,
प्रभु कुण्डल झलकंता,
कुमकुम केसर चन्दन,
कुमकुम केसर चन्दन,
सिंदूर बदन वंदा,
ॐ जय गौरी नंदा ॥
ॐ जय गौरी नंदा,
प्रभु जय गौरी नंदा,
गणपति आनंद कंदा,
गणपति आनंद कंदा,
मैं चरणन वंदा,
ॐ जय गौरी नंदा ॥
मुकुट सुगढ़ सोहंता,
मस्तक सोहंता,
प्रभु मस्तक सोहंता,
बईया बाजूबन्दा,
बईया बाजूबन्दा,
ओंची निरखंता,
ॐ जय गौरी नंदा ॥
ॐ जय गौरी नंदा,
प्रभु जय गौरी नंदा,
गणपति आनंद कंदा,
गणपति आनंद कंदा,
मैं चरणन वंदा,
ॐ जय गौरी नंदा ॥
मूषक वाहन राजत,
शिव सूत आनंदा,
प्रभु शिव सूत आनंदा,
कहत शिवानन्द स्वामी,
जपत शिवानन्द स्वामी,
मिटत भव फंदा,
ॐ जय गौरी नंदा ॥
ओम जय गौरी नंदा,
प्रभु जय गौरी नंदा,
गणपति आनंद कंदा,
गणपति आनंद कंदा,
मैं चरणन वंदा,
ॐ जय गौरी नंदा ॥
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र पूर्णिमा एक अत्यंत पवित्र तिथि मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा एवं श्री सत्यनारायण कथा का श्रवण करने से व्यक्ति को सभी दुखों से मुक्ति मिलती है और मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं।
चैत्र पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक अत्यंत शुभ तिथि मानी जाती है। इस दिन धार्मिक अनुष्ठान, दान-पुण्य और पूजा-पाठ करने से सुख-समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को चैत्र पूर्णिमा कहा जाता है। यह तिथि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
वैशाखी न केवल सिख समुदाय के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह भारतीय नववर्ष और कृषि उत्सव के रूप में भी जाना जाता है। वैशाखी पर्व सामाजिक एकता और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक है।