Baisakhi 2025 Date: कृषि उत्सव के रूप में भी जाना जाता है वैशाखी पर्व, जानिए इसकी तिथि और शुभ मुहूर्त
वैशाखी न केवल सिख समुदाय के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह भारतीय नववर्ष और कृषि उत्सव के रूप में भी जाना जाता है। वैशाखी पर्व सामाजिक एकता और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक है। यह पर्व न केवल धर्म और संस्कृति को जोड़ता है, बल्कि समाज में प्रेम और अपनेपन की भावना को भी बढ़ाता है।
सूर्य की स्थिति के अनुसार मनाया जाता वैशाखी का पर्व
वैशाखी का पर्व सूर्य की स्थिति और भारतीय कैलेंडर के अनुसार बदलती रहती है। सिख कैलेंडर के अनुसार, वैशाखी का पर्व वैशाख के महीने के पहले दिन मनाया जाता है, जो सिख नव वर्ष का आगमन होता है। इस वर्ष ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, वैशाखी का त्योहार 14 अप्रैल को मनाया जाएगा।
वैशाखी के दिन मनाया जाता है सिख नव वर्ष
वैशाखी मुख्य रूप से सिख धर्म और कृषि कार्यों से जुड़ा एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और कृषि परंपराओं से भी जुड़ा हुआ है।
- वैशाखी को सिख नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। सिख समुदाय इस दिन को पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाते हैं।
- पंजाब और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में यह दिन किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह रबी फसल की कटाई का समय होता है। इस दिन किसान अपने खेतों में अच्छी फसल की खुशी मनाते हैं और भगवान का धन्यवाद करते हैं।
- वैशाखी का एक और ऐतिहासिक महत्व यह है कि इसी दिन 1699 में गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी।
लंगर सेवा और नगर कीर्तन होता है
वैशाखी के अवसर पर गुरुद्वारों को फूलों से सजाया जाता है। साथ ही, पंजाब और अन्य क्षेत्रों में लोग भांगड़ा और गिद्दा जैसे पारंपरिक नृत्य करते हैं तथा ढोल-नगाड़ों की धुन पर झूमते हैं। इस दिन सिख समुदाय द्वारा नगर कीर्तन ‘धार्मिक जुलूस’ निकाला जाता है, जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब को पालकी में रखकर भक्त पूरे नगर में घूमते हैं। इस अवसर हर गुरुद्वारे में लंगर की सेवा का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें हर जाति, धर्म और समुदाय के लोग मिलकर भोजन करते हैं।
भारत देश में बेरोजगारी बड़ी समस्या है। इसका कारण नौकरियों का न होना है। इसी कारण से आज के समय में एक अच्छी नौकरी पाना बहुत से लोगों की जरूरत है। सभी अपने घर का पालन पोषण करने के लिए नौकरी की तलाश में हैं।
हिंदू धर्म में श्राद्ध पूजा का विशेष महत्व है। यह पितरों यानी पूर्वजों के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने का एक प्रमुख अनुष्ठान है। जो सदियों से हिंदू संस्कृति में करा जाता है। श्राद्ध संस्कार में पिंडदान, और ब्राह्मण भोजन कराया जाता है।
हिंदू धर्म में एक परिवार के लिए उसका घर एक मंदिर की तरह होता है। ऐसे में वो नहीं चाहेगा, कि घर में किसी तरह की दिक्कत आए। इसी कारण से लोग घर के लिए गृह शांति पूजा करवाते हैं।
शिलान्यास यानि किसी भी नए भवन या योजना की शुरुआत करना। हिंदू धर्म में किसी भी नई चीज की शुरुआत करने के पहले पूजा करने की परंपरा है। इसी कारण से बहुत से लोग शिलान्यास करने से पहले बहुत से लोग पूजा करते हैं।