मैं तो अपने श्याम की,
दीवानी बन जाउंगी,
दीवानी बन जाउंगी,
मस्तानी बन जाउंगी,
मैं तो अपने श्याम की,
दिवानी बन जाउंगी ।
जब मेरे श्याम जी को भूख लगेगी,
माखन की मटकी और मिश्री बन जाउंगी,
मैं तो अपने श्याम की दिवानी बन जाउंगी ।
जब मेरे श्याम जी को प्यास लगेगी,
मीठी मीठी दहिया की लस्सी बन जाउंगी,
मैं तो अपने श्याम की दिवानी बन जाउंगी ।
जब मेरे श्याम जी को नींद आएगी,
रेशम की चादर और तकिया बन जाउंगी,
मैं तो अपने श्याम की दिवानी बन जाउंगी ।
‘चित्र विचित्र’ ने शोर मचाया,
मन मोहन के मन की रानी बन जाउंगी,
मैं तो अपने श्याम की दीवानी बन जाउंगी ।
मैं तो अपने श्याम की,
दीवानी बन जाउंगी,
दीवानी बन जाउंगी,
मस्तानी बन जाउंगी,
मैं तो अपने श्याम की,
दिवानी बन जाउंगी ।
धूम मचाने आ जइयो आई होली सावरिया,
होली सावरिया आई होली सावरिया,
आई बागों में बहार,
झूला झूले राधा प्यारी ।
ऐसे मेरे मन में विराजिये
ऐसे मेरे मन में विराजिये
बच्छ बारस एक महत्वपूर्ण व्रत है जो माताएं अपने पुत्रों की दीर्घायु, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए रखती हैं।