करो हरी का भजन प्यारे,
उमरिया बीती जाती हे,
पूरब शुभ कर्म करी आया,
मनुष्य तन पृथ्वी पर पाया,
फिर विषयो से भरमाया,
मौत याद नहीं आती हे ,
करो हरी का भजन प्यारे!
बालपन खेल में खोया,
जोबन में काम बस होया ;
बुढ़ापा खाट पर सोया,
आस मन को सतानि हे,
करो हरी का भजन प्यारे!
कुटुंब परिवार सूत दारा,
स्वप्न सम देख जग सारा ;
माया का जाल बिस्तारा ,
नहीं ये संग जाती हे
करो हरी का भजन प्यारे!
जो हरी के चरण चित लावे,
सो भवसागर से तर जावे ;
ब्रह्मानंद मोक्ष पद पावे,
वेद वानी सुनाती हे
करो हरी का भजन प्यारे!
खाटू वाले श्याम प्यारे,
खूब कियो श्रृंगार,
खेले मसाने में होरी,
दिगम्बर,
खोलो समाधी भोले शंकर,
मुझे दरश दिखाओ,
खुल गया बैंक राधा,
रानी के नाम का,