कहन लागे मोहन मैया मैया,
पिता नंद महर सों बाबा बाबा,
और हलधर सों भैया,
कहन लागे मोहन मैया मैया,
कहन लागे मोहन मैया मैया,
ऊँचे चढ़ चढ़ कहती जशोदा,
लै लै नाम कन्हैया,
ले ले नाम कन्हैया,
कहन लागे मोहन मैया मैया,
कहन लागे मोहन मैया मैया,
दूर खेलन जन जाहूं लाल रे,
मारैगी काहूँ की गैयाँ,
मारेगी काहू की गैया,
कहन लागे मोहन मैया मैया,
कहन लागे मोहन मैया मैया,
गोपी ग्वाल करत कौतूहल घर घर बजति बधैयाँ,
घर घर बजती बधैया,
घर घर बजती बधैया,
कहन लागे मोहन मैया मैया,
कहन लागे मोहन मैया मैया,
मणि खमबन प्रति बिन बिलोकत
हो नाचत कुवर निज कन्हियाँ
कहन लागे मोहन मैया मैया,
कहन लागे मोहन मैया मैया,
सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस कों चरननि की बलि जैयाँ,
चरननि की बलि जैया, बलि जैया
कहन लागे मोहन मैया मैया,
कहन लागे मोहन मैया मैया,
झूलेलाल जयंती, जिसे चेटीचंड के नाम से भी जाना जाता है, सिंधी समुदाय के लिए एक पवित्र और महत्वपूर्ण दिन होता है। यह पर्व चैत्र शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है, जो हिंदू नववर्ष के प्रारंभिक दिनों में आता है।
हिंदू धर्म में चंद्रमा को देवता समान माना जाता है और उनकी पूजा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। चंद्र दर्शन का विशेष महत्व अमावस्या के बाद पहली बार चंद्रमा के दर्शन करने से जुड़ा हुआ है।
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रदोष व्रत महादेव और माता पार्वती को समर्पित है।
प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा को समर्पित है। इस दिन व्रत और पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं।