हिंदू धर्म में चंद्रमा को देवता समान माना जाता है और उनकी पूजा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। चंद्र दर्शन का विशेष महत्व अमावस्या के बाद पहली बार चंद्रमा के दर्शन करने से जुड़ा हुआ है। इस दिन श्रद्धालु विशेष पूजा-अर्चना कर चंद्र देव से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
चंद्र दर्शन अमावस्या के बाद पहली बार चंद्रमा के दर्शन को कहते हैं, जो हिंदू धर्म में शुभ माना जाता है। इसे मानसिक शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। चंद्र देवता की पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और ज्योतिषीय दोष दूर होते हैं। वैज्ञानिक रूप से इसकी किरणें शीतलता प्रदान करती हैं, जिससे मानसिक तनाव कम होता है और मन को शांति मिलती है।
चैत्र मास में चंद्र दर्शन का शुभ अवसर 30 मार्च 2025, रविवार को है। इस दिन चंद्रमा के दर्शन का शुभ समय शाम 6:38 बजे से रात 7:45 बजे तक है। हिंदू धर्म में, अमावस्या के बाद पहली बार चंद्रमा के दर्शन को चंद्र दर्शन कहा जाता है, जो सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। भक्त इस दिन चंद्र देव की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं, जो सूर्यास्त के बाद चंद्रमा के दर्शन के साथ संपन्न होता है।
सनातन धर्म में भगवान सूर्य को ग्रहों का राजा बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि जिसकी राशि में भगवान सूर्य शुभ होते हैं, उसका सोया हुआ भाग्य भी जाग उठता है।
पंचाग के अनुसार साल में 12 संक्रांतियां होती हैं। इन्हीं में से एक धनु संक्रांति है जो इस वर्ष 15 दिसंबर को पड़ रही है। धनु संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं और इसी दिन से खरमास शुरू होता है।
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष मार्गशीर्ष पूर्णिमा 15 दिसंबर को मनाई जा रही है। हिन्दू धर्म में यह एक महत्वपूर्ण तिथि है, जो भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्रदेव की पूजा के लिए समर्पित है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा इस वर्ष 15 दिसंबर को मनाई जा रही है। यह पर्व हिन्दू धर्म में लक्ष्मीनारायण की पूजा का एक पवित्र और शुभ अवसर है।