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कभी दुर्गा बनके, कभी काली बनके (Kabhi Durga Banke Kabhi Kali Banke)

कभी दुर्गा बनके, कभी काली बनके (Kabhi Durga Banke Kabhi Kali Banke)

कभी दुर्गा बनके,

कभी काली बनके,

चली आना,

मैया जी चली आना ॥


ब्रम्हचारिणी रूप में आना,

ब्रम्हचारिणी रूप में आना,

भक्ति हाथ ले के,

शक्ति साथ ले के,

चली आना,

मैया जी चली आना ॥


तुम दुर्गा रूप में आना,

तुम दुर्गा रूप में आना,

सिंह साथ ले के,

चक्र हाथ ले के,

चली आना,

मैया जी चली आना ॥


तुम काली रूप में आना,

तुम काली रूप में आना,

खप्पर हाथ ले के,

योगिनी साथ ले के,

चली आना,

मैया जी चली आना ॥


तुम शीतला रूप में आना,

तुम शीतला रूप में आना,

झाड़ू हाथ ले के,

गधा साथ ले के,

चली आना,

मैया जी चली आना ॥


तुम गौरा के रूप में आना,

तुम गौरा के रूप में आना,

माला हाथ ले के,

गणपति साथ ले के,

चली आना,

मैया जी चली आना ॥


कभी दुर्गा बनके,

कभी काली बनके,

चली आना,

मैया जी चली आना ॥

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श्रीकृष्ण लीला: जब बाल कान्हा ने फल वाली अम्मा की झोली हीरे-मोती से भर दी

भगवान अपने भक्तों को कब, कहा, क्या और कितना दे दें यह कोई नहीं जानता। लेकिन भगवान को अपने सभी भक्तों का सदैव ध्यान रहता है। वे कभी भी उन्हें नहीं भूलते। भगवान उनके भले के लिए और कल्याण के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।

कन्हैया ने जब पहली बार बजाई मुरली, सारी सृष्टि में आनंद की लहर दौड़ी

मुरलीधर, मुरली बजैया, बंसीधर, बंसी बजैया, बंसीवाला भगवान श्रीकृष्ण को इन नामों से भी जाना जाता है। इन नामों के होने की वजह है कि भगवान को बंसी यानी मुरली बहुत प्रिय है। श्रीकृष्ण मुरली बजाते भी उतना ही शानदार हैं।

आखिर यमुना में ही क्यों छुपा था कालिया नाग

भक्त वत्सल की जन्माष्टमी स्पेशल सीरीज के एक लेख में हमने आपको बताया था कि कैसे भगवान श्रीकृष्ण ने यमुना में कूदकर कालिया नाग से युद्ध किया था। क्योंकि उसके विष से यमुना जहरीली हो रही थी।

जब निर्वस्त्र होकर नहा रहीं गोपियों को नटखट कन्हैया ने पढ़ाया मर्यादा का पाठ

भगवान विष्णु ने रामावतार लेकर जगत को मर्यादा सिखाई और वे मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। वहीं कृष्णावतार में भगवान ने ज्यादातर मौकों पर मर्यादा के विरुद्ध जाकर अपने अधिकारों की रक्षा और सच को सच कहने साहस हम सभी को दिखाया।

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