बांके बिहारी हमें भूल ना जाना,
जल्दी जल्दी वृन्दावन,
हमको बुलाना,
बांके बिहारी हमे भूल ना जाना ॥
जपते रहे हम नाम तुम्हारा,
छूटे कभी ना हमसे वृन्दावन प्यारा,
होता रहे तेरे दर पे आना जाना,
बांके बिहारी हमे भूल ना जाना ॥
भक्ति की ऐसी लगन लगा दो,
संतो की सेवा का भाव जगा दो,
हर वर्ष उत्सव अपना यूँ ही मनवाना,
बांके बिहारी हमे भूल ना जाना ॥
कथा कीर्तन से होता जीवन पवित्र,
साधन बताते यही ‘चित्र विचित्र’,
यूँ ही लुटाना अपनी किरपा का खजाना,
बांके बिहारी हमे भूल ना जाना ॥
बांके बिहारी हमें भूल ना जाना,
जल्दी जल्दी वृन्दावन,
हमको बुलाना,
बांके बिहारी हमे भूल ना जाना ॥
सनातन धर्म में साधू-संतों का काफी महत्व है। साधु-संत भौतिक सुखों को त्यागकर सत्य व धर्म के मार्ग पर चलते हैं। इसके साथ ही उनकी वेशभूषा और खान-पान आम लोगों से बिल्कुल भिन्न होती है। उनको ईश्वर की प्राप्ति का माध्यम माना जाता है। साधू-संत आमतौर पर पीला, केसरिया अथवा लाल रंगों के वस्त्र धारण करते हैं।
2024 के खत्म होने में अब बस कुछ ही दिन शेष बचे हैं। नववर्ष 2025 में ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार कई प्रमुख ग्रहों की चाल में होने वाला है। इनमें गुरु, शनि और राहु-केतु हैं। ये अपनी-अपनी राशि बदलने वाले हैं।
नागा साधु भारत की प्राचीन साधु परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माने जाते हैं। इनका जीवन तपस्या, साधना और आत्मज्ञान की खोज में समर्पित रहता है। नागा साधुओं को मुख्य रूप से महाकुंभ के चार स्थानों के अनुसार ही चार प्रकार में बांटा गया है। बता दें कि महाकुंभ भारत के चार शहरों, हरिद्वार, उज्जैन, नासिक और इलाहाबाद में लगता है।
नव वर्ष यानी साल 2025 कई राशियों के जातकों के लिए बेहद शुभ होने वाला है। न्याय के देवता शनिदेव और देवगुरु बृहस्पति के राशि परिवर्तन से जहां कई राशि के जातकों को लाभ होगा।