जिस ओर नजर फेरूं दादी,
चहुँ ओर नजारा तेरा है,
सतियों में तू सिरमौर है माँ,
साँचा ये द्वारा तेरा है,
जिस ओर नजर फेरूँ दादी,
चहुँ ओर नजारा तेरा है ॥
तू मेरी है मैं तेरी हूँ,
तू चंदा है मैं चकोरी हूँ,
तेरे होते ही रोशन दादी,
किस्मत का सितारा मेरा है,
जिस ओर नजर फेरूँ दादी,
चहुँ ओर नजारा तेरा है ॥
मैं तेरा ध्यान लगाती हूँ,
माँ पास तुझे मैं पाती हूँ,
दुनिया की ना दरकार मुझे,
बस एक सहारा तेरा है,
जिस ओर नजर फेरूँ दादी,
चहुँ ओर नजारा तेरा है ॥
तू हाथ पकड़ के चलती है,
तुझसे ही मेरी हस्ती है,
नैया की खेवनहार तू ही,
तू ही तो किनारा मेरा है,
जिस ओर नजर फेरूँ दादी,
चहुँ ओर नजारा तेरा है ॥
मेरी डोर तुम्हारे हाथों में,
‘स्वाति’ की बसी हो सांसो में,
कहे ‘हर्ष’ वही मुड़ जाती हूँ,
जिसे जगत ईशारा तेरा है,
जिस ओर नजर फेरूँ दादी,
चहुँ ओर नजारा तेरा है ॥
जिस ओर नजर फेरूं दादी,
चहुँ ओर नजारा तेरा है,
सतियों में तू सिरमौर है माँ,
साँचा ये द्वारा तेरा है,
जिस ओर नजर फेरूँ दादी,
चहुँ ओर नजारा तेरा है ॥
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विवाह को हिन्दू धर्म में पवित्र और अटूट बंधन माना गया है। विवाह के दौरान कई रस्में निभाई जाती हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण रस्म हल्दी की होती है।
कुंभ मेला हिंदू धर्म के सबसे बड़े समागमों में से एक है। यह एक ऐसी परंपरा है, जिसके केंद्र में नागा साधु रहते हैं। बिना कपड़ों के रहने वाले ये साधु अपनी कठोर तपस्या, धार्मिक जीवनशैली, और रहस्यमयी जीवन के लिए भी जाने जाते हैं।