जिनका मैया जी के चरणों से संबंध हो गया ।
उनके घर में आनंद ही आनंद हो गया ॥
माँ की शक्ति को जो भी, प्रणाम करते,
माँ की भक्ति में मन को, जो भी रंगते ।
माँ की किरपा से तन मन प्रसन्न हो गया,
उनके घर में आनंद ही आनंद हो गया ॥
जिनका मैया जी के चरणों से संबंध हो गया ।
उनके घर में आनंद ही आनंद हो गया ॥
जो भी श्रद्धा से आता माँ के दरबार में,
कभी ठोकरे ना खाए इस संसार में ।
उसका रास्ता बुराई का बंद हो गया,
उनके घर में आनंद ही, आनंद हो गया ॥
जिनका मैया जी के चरणों से संबंध हो गया ।
उनके घर में आनंद ही आनंद हो गया ॥
माँ को ध्यानु ने ध्याया है सुर ताल से,
निकले भक्ति के स्वर उसकी खड़ताल से ।
माँ का गुणगान छैनो का छंद हो गया,
उनके घर में आनंद ही आनंद हो गया ॥
जिनका मैया जी के चरणों से संबंध हो गया ।
उनके घर में आनंद ही आनंद हो गया ॥
माँ की ज्योति मिटाती है अंधकार को,
कोई विरला ही जाने लख्खा माँ के प्यार को,
ॐ शर्मा को दर ये पसंद हो गया,
उनके घर में, आनंद ही आनंद हो गया ॥
जिनका मैया जी के चरणों से संबंध हो गया ।
उनके घर में आनंद ही आनंद हो गया ॥
प्रयागराज में अब जल्द ही महाकुंभ आरंभ होने जा रहा है और अभी से ही लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी है। इस पवित्र नगरी में भक्ति का रंग चरम पर देखने को मिल रहा है। इसी बीच, भक्त वत्सल संस्था एक अद्भुत कार्य कर रही है।
महाकुंभ, भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का एक अद्भुत संगम है। हर बार जब यह महाकुंभ लगता है, तो लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से आकर पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करते हैं।
आपने अक्सर साधु-संतों को अजीबोगरीब मुद्राओं में, शरीर को कष्ट देते हुए देखा होगा। क्या आपने कभी सोचा है कि वे ऐसा क्यों करते हैं? क्या आप जानते हैं कि यह सब हठयोग से जुड़ा हुआ है?
महाकुंभ का आगाज अब दूर नहीं है। इस महान धार्मिक आयोजन की तैयारियां जोरों पर हैं। लाखों श्रद्धालुओं के आगमन को देखते हुए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की जा रही हैं। महाकुंभ में साधु-संतों का विशेष महत्व होता है।