जय जय गणपति गौरी नंदन,
हम आए शरण तिहारी प्रभु,
तुम रिद्धि सिद्धि के हो दाता,
हम भक्तन पर बलिहारी प्रभु,
जय जय गणपति गौंरी नंदन,
हम आए शरण तिहारी प्रभु ॥
ब्रम्हा विष्णु शिव ध्यान धरे,
मिल देवता सब सम्मान करे,
हम करते है वंदन तेरा,
और आए शरण तिहारी प्रभु,
जय जय गणपति गौंरी नंदन,
हम आए शरण तिहारी प्रभु ॥
हम आस लगाए बैठे है,
तेरा ध्यान लगाए बैठे है,
भक्तन को सच की राह दिखा,
और सबको पार लगाना प्रभु,
जय जय गणपति गौंरी नंदन,
हम आए शरण तिहारी प्रभु ॥
शिव शंकर ने वरदान दिया,
तुम प्रथम ही पूजे जाओगे,
मैंने भी प्रथम तुम्हे पूजा है,
मुझे भव से पार लगाना प्रभु,
जय जय गणपति गौंरी नंदन,
हम आए शरण तिहारी प्रभु ॥
तीनों लोको में तुम जैसा,
दूजा कोई देव ना दानी है,
जो कोई लाये मुरादें प्रभु,
पूरी सब तुम कर देना प्रभु,
जय जय गणपति गौंरी नंदन,
हम आए शरण तिहारी प्रभु ॥
जय जय गणपति गौरी नंदन,
हम आए शरण तिहारी प्रभु,
तुम रिद्धि सिद्धि के हो दाता,
हम भक्तन पर बलिहारी प्रभु,
जय जय गणपति गौंरी नंदन,
हम आए शरण तिहारी प्रभु ॥
परशुराम द्वादशी का पर्व भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी को समर्पित है, जो वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह व्रत विशेष रूप से संतान के प्राप्ति की कामना रखने वाले लोगों के लिए फलदायी होता हैं।
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है, जो भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। यह व्रत सभी पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का अत्यंत महत्व है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना के लिए एक विशेष दिन माना जाता है, जो हर महीने दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास का शुक्र प्रदोष व्रत 2025 में एक अत्यंत शुभ योग लेकर आ रहा है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता हैI