जगदीश ज्ञान दाता, सुख मूल शोकहारी ।
भगवन् ! तुम्हीं सदा हो, निष्पक्ष न्यायकारी ॥
सब काल सर्व ज्ञाता, सविता पिता विधाता ।
सब में रमे हुए हो, विश्व के बिहारी ॥
कर दो बलिष्ठ आत्मा, घबरायें न दुःखों से ।
कठिनाइयों का जिससे, तर जायें सिन्धु भारी ॥
निश्चय दया करोगे, हम मांगते यही हैं ।
हमको मिले स्वयम् ही, उठने की शक्ति सारी ॥
जगदीश ज्ञान दाता, सुख मूल शोकहारी ।
भगवन् ! तुम्हीं सदा हो, निष्पक्ष न्यायकारी ॥
पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होते हैं। इस दिन माता लक्ष्मी और चंद्रमा की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन को मन, शरीर और आत्मा के संतुलन बनाने के लिए उचित माना जाता है।
अमावस्या का महत्व हिंदू धर्म में बहुत अधिक है। यह दिन पितरों को समर्पित है और माना जाता है कि इस दिन किए गए पूजा-पाठ और दान का विशेष फल मिलता है। यह वह दिन होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है और चंद्रमा दिखाई नहीं देता। इस दिन किए गए पूजा-पाठ और दान का विशेष फल मिलता है।
भगवान शिव, देवों के देव महादेव, को प्रसन्न करना सबसे सरल माना जाता है। हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि भोलेनाथ की कृपा से असंभव भी संभव हो जाता है। हर व्यक्ति शिव शंभू की कृपा पाने को आतुर रहता है।
नए साल 2025 की शुरुआत होने वाली है और हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है और इस दिन भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही एकादशी का व्रत रखा जाता है जो साधक की हर मनोकामना पूरी करने और पृथ्वी लोक पर स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति करने में मदद करता है।