हम आये है तेरे द्वार,
गिरजा के ललना,
हो देवो के सरदार,
गिरजा के ललना,
करने दीदार दीदार दीदार,
दीदार गिरजा के ललना,
अरे दे ताली दे ताली नाचे रे,
सब भक्त तेरे अंगना,
हम आये हैं तेरे द्वार,
गिरजा के ललना ॥
लंबोदर गजबदन गजानन,
लाये खुशहाली,
महक उठे वन उपवन खेतन,
आई हरियाली,
अरे झूम झूम के भगता तेरी,
करते वंदना,
अरे दे ताली दे ताली नाचे रे,
सब भक्त तेरे अंगना,
हम आये हैं तेरे द्वार,
गिरजा के ललना ॥
तीजा रही उपासी गौरा,
सह के कठिन कलेश,
लगत चौथ चंदा के नाईं,
पूजे गौर गणेश,
अरे लालन बनके महा शक्ति के,
झूले झूलना,
अरे दे ताली दे ताली नाचे रे,
सब भक्त तेरे अंगना,
हम आये हैं तेरे द्वार,
गिरजा के ललना ॥
घर घर मे तुम आये गणपति,
हो रही जय जयकार,
ये ‘बेनाम’ खड़ा कर जोरे,
ले फूलन के हार,
अपने इस ‘संदीप’ को गणपति,
दाता न भूलना,
अरे दे ताली दे ताली नाचे रे,
सब भक्त तेरे अंगना,
हम आये हैं तेरे द्वार,
गिरजा के ललना ॥
हम आये है तेरे द्वार,
गिरजा के ललना,
हो देवो के सरदार,
गिरजा के ललना,
करने दीदार दीदार दीदार,
दीदार गिरजा के ललना,
अरे दे ताली दे ताली नाचे रे,
सब भक्त तेरे अंगना,
हम आये हैं तेरे द्वार,
गिरजा के ललना ॥
मैया की आराधना के पावन पर्व नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने का भी विशेष महत्व हैं।
राजस्थान के इन मंदिरों में माता को चढ़ाई जाती है शराब, मूर्ति के सामने रखते ही खाली हो जाता है प्याला
नवरात्रि हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। नवरात्रि में माता की आराधना, विभिन्न धार्मिक आयोजन, गरबा, जगराते और व्रत उपवास रखने की परंपरा है।
हमारी चेतना के भीतर सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण तीनों प्रकार के गुण व्याप्त है। प्रकृति के साथ इसी चेतना के उत्सव को नवरात्रि कहते हैं।