बम बम बम बम भोला
बम बम बम बम भोला
बम बम बम बम भोला
बम बम बम बम भोला
कह गए साधु, कह गए कबीरा
कह गए साधु कह गए फकीरा
क्या तेरा क्या मेरा कबीरा
सारा ये खेल है तक़्दीरों का
सारा ये खेल है तक़्दीरों का
क्या तूने ले जाना सब यही रह जाना
मिटदि है मूरत, जिन्दी ये वाणी है
गंगा किनारे चले जाणा
मुड़के फिर नहीं आणा
ये जीवन तेरा लकड़ी का पुतला
ये जीवन तेरा लकड़ी का पुतला
ये जीवन तेरा लकड़ी का पुतला
ये जीवन तेरा लकड़ी का पुतला
आग लगे जर जाणा
मुड़के फिर नहीं आणा
मिटदि है मूरत, जिन्दी ये वाणी है
गंगा किनारे चले जाणा
मुड़के फिर नहीं आणा
ये जीवन तेरा माटी का पुतला
ये जीवन तेरा माटी का पुतला
ये जीवन तेरा माटी का पुतला
ये जीवन तेरा माटी का पुतला
माटी में ही मिल जाणा
गंगा किनारे चले जाणा
मिटदि है मूरत, जिन्दी ये वाणी है
गंगा किनारे चले जाणा
मुड़के फिर नहीं आणा
ये जीवन तेरा मोह के धागे
ये जीवन तेरा मोह के धागे
ये जीवन तेरा मोह के धागे
ये जीवन तेरा मोह के धागे
गाँठ लगे टूट जाणा
मुड़के फिर नहीं आणा
मिटदि है मूरत, जिन्दी ये वाणी है
गंगा किनारे चले जाणा
मुड़के फिर नहीं आणा
मिटदि है मूरत, जिन्दी ये वाणी है
गंगा किनारे चले जाणा
मुड़के फिर नहीं आणा
तेरे अपने ही तुझको जलायेंगे
कुछ दिन रोयेंगे फिर भूल जायेंगे
तेरे अपने ही तुझको जलायेंगे
कुछ दिन रोयेंगे फिर भूल जायेंगे
फिर भूल जायेंगे फिर भूल जायेंगे
ओ गंगा किनारे चले जाणा
मुड़के फिर नहीं आणा
बम बम बम बम भोला
बम बम बम बम भोला
बम बम बम बम भोला
बम बम बम बम भोला
भगवान विष्णु को समर्पित पवित्र वामन द्वादशी वर्ष में दो बार मनाई जाती है। एक बार चैत्र मास की शुक्ल द्वादशी तिथि को, तथा दूसरी बार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को।
वामन देव की पूजा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। भगवान वामन को श्री हरि का स्वरूप कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन विधिवत पूजा करने से व्यक्ति को सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।
वामन द्वादशी का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। यह पर्व हर साल दो बार मनाया जाता है। एक चैत्र मास की द्वादशी तिथि को और दूसरा भाद्रपद मास की द्वादशी तिथि को।
एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। वर्षभर में कुल 24 एकादशियां होती हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना अलग महत्व होता है। चैत्र शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है।