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चलो मन गंगा जमुना तीर (Chalo Man Ganga Yamuna Teer)

चलो मन गंगा जमुना तीर (Chalo Man Ganga Yamuna Teer)

चलो मन गंगा जमुना तीर,

चलो मन गंगा जमुना तीर,

चलो मन गंगा जमुना तीर,

गंगा जमुना निर्मल पानी,

गंगा जमुना निर्मल पानी,

गंगा जमुना निर्मल पानी,

शीतल होत शरीर,

चलो मन गंगा जमुना तीर,

चलो मन गंगा जमुना तीर,

चलो मन गंगा जमुना तीर,


बंसी बजावत नाचत कान्हा,

संग लिये बलबीर,

चलो मन गंगा जमुना तीर,


मोर मुकुट पीताम्बर सोहे,

कुण्डल झलकत हीर,

चलो मन गंगा जमुना तीर,


मीरा के प्रभु गिरिधर नागर,

चरण कमल पर शीश,

चलो मन गंगा जमुना तीर,


चलो मन गंगा-जमुना तीर,

गंगा जमना निरमल पाणी

शीतल होत शरीर,


चलो मन गंगा जमुना तीर,

चलो मन गंगा जमुना तीर,

चलो मन गंगा जमुना तीर,

गंगा जमुना निर्मल पानी,

गंगा जमुना निर्मल पानी,

गंगा जमुना निर्मल पानी,

शीतल होत शरीर,

चलो मन गंगा जमुना तीर,

चलो मन गंगा जमुना तीर,

चलो मन गंगा जमुना तीर,

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कौन बन सकता है नागा साधु ?

जनवरी 2025 से कुंभ मेले की शुरुआत संगम नगरी प्रयागराज में होने जा रही है। इस दौरान वहां ऐसे शानदार नजारे देखने को मिलेंगे, जो आम लोग अपनी जिंदगी में बहुत कम ही देखते हैं। अब जब कुंभ की बात हो रही है, तो नागा साधुओं की बात जरूर होगी ही। यह मेले का मुख्य आकर्षण होते है, जो सिर्फ कुंभ मेले के दौरान ही दिखाई देते है।

नागा साधुओं का रहस्यमी इतिहास

हिंदुओं के सबसे बड़े सांस्कृतिक समागम महाकुंभ की शुरुआत में अब ज्यादा समय नहीं बचा है। पहला शाही 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा पर होने वाला है। इसमें सबसे पहले नागा साधु स्नान करेंगे।

रहस्यमयी जिंदगी जीते हैं नागा साधु

नागा साधु को महाकुंभ का आकर्षण माना जाता है, जिन्हें देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इनका शाही स्नान में महत्व बहुत अधिक है। क्योंकि इन्हें आध्यात्मिक शक्ति के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।

पूर्णिमा तिथि 2025 में कब-कब पड़ेगी?

पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होते हैं। इस दिन माता लक्ष्मी और चंद्रमा की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन को मन, शरीर और आत्मा के संतुलन बनाने के लिए उचित माना जाता है।

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