जगन्नाथ पुरी से कोणार्क जाने वाले मार्ग में बाईं ओर रामचंडी हनुमान मंदिर स्थित है। मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि श्री हनुमान जी यहाँ माँ रामचंडी देवी के पास कुछ समय के लिए रुके थे। यहीं स्थित है यह श्री श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर। शुरू में मंदिर के चारों ओर जंगल हुआ करता था, तब यहाँ हनुमान जी का छोटा विग्रह था। इसके बाद में यहाँ पंचमुखी हनुमान जी को स्थापित किया गया। मंदिर के गर्भग्रह में पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति विराजमान हैं। यहाँ बैठकर भक्तगण हनुमान चालीसा और श्री हनुमंत 108 नामावली का पाठ करते हैं। बता दें कि मंदिर में प्रवेश निःशुल्क है।
पौराणिक कथा के अनुसार, सीता जी की खोज के लिए, श्री हनुमान ने उड़ीसा के इसी तट से श्री लंका जाने की योजना बनाई थी। फिर, कोणार्क की रक्षक माँ रामचंडी देवी ने श्री हनुमान जी को श्री लंका जाने के लिए भारत का दक्षिण भाग से जाने का दिशा निर्देश दिया। क्योंकि लंका तक जाना इस तट की बजाय दक्षिण तट से ज्यादा सुगम था।
यह मंदिर रामचंडी, खलाकाटा पुरी ओडिशा में स्थित है। मंदिर पहुंचने का निकटतम रेलवे स्टेशन पुरी रेलवे स्टेशन है। आप यहां से मंदिर तक जाने के लिए सवारी कर सकते हैं।
जब शनिवार और त्रयोदशी तिथि एक साथ आती है तो उसे शनि त्रयोदशी कहते हैं। यह एक खास दिन होता है। यह हर महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आता है।
शनि देव 9 ग्रहों में सबसे धीमी चाल चलने वाले ग्रह हैं। इसी कारण शनि देव 1 राशि में साढ़े सात साल तक विराजमान रहते हैं। इसी वजह से ही राशियों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या चलती है।
शनि त्रयोदशी का पर्व शनि देव की पूजा और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए बेहद खास होता है। इस दिन सही तरीके से पूजा करने और खास भोग अर्पित करने से शनि ग्रह के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिल सकती है।
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शंकर की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से घर में खुशहाली आती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।