जब शनिवार और त्रयोदशी तिथि एक साथ आती है तो उसे शनि त्रयोदशी कहते हैं। यह एक खास दिन होता है। यह हर महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आता है। कहते हैं इस दिन शनिदेव की पूजा करने से शनि दोष दूर होता है। आइए जानते हैं कि साल 2025 की पहली शनि त्रयोदशी कब है और इस दिन का महत्व क्या है?
शनि त्रयोदशी की तिथि 11 जनवरी को सुबह 08 बजकर 21 मिनट से 12 जनवरी को सुबह 06 बजकर 33 मिनट तक रहेगी। शनि प्रदोष पूजा मुहूर्त शाम 05 बजकर 43 मिनट से शाम 08 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। शनि पूजा मुहूर्त की बात करें तो यह शाम में 5 बजकर 43 मिनट से 8 बजकर 26 मिनट तक रहेगा।
शनि दोष निवारण के लिए शनि त्रयोदशी को एक उत्तम दिन माना गया है। शनि दोष के कारण जीवन में कई प्रकार की समस्याएं आ सकती हैं। शनि त्रयोदशी के दिन व्रत और पूजा करने से शनि दोष से मुक्ति मिल सकती है। शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। वह सभी के कर्मों के अनुसार फल देते हैं। सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन शनि त्रयोदशी व्रत को महत्वपूर्ण बताया गया है। इस दिन शनि देव की पूजा करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
नवरात्रि के दिनों में हमने देखा है कि जहां भी मां दुर्गा की पूजा होती है। वहां माता की मूर्ति के साथ उस परम शक्तिशाली असुर महिषासुर की भी प्रतिमा माता के साथ होती है।
जगत जननी मां दुर्गा की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही, जीवन में व्याप्त सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। नवरात्रि की शुरुआत प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना से होती है।
चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 30 मार्च 2025, रविवार से शुरू होगी। जिसमें मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा उपासना की जाती है, जो 9 दिनों तक चलेंगे। बता दें कि देवी दुर्गा को शक्ति और पराक्रम का प्रतीक माना जाता है।
चैत्र नवरात्रि का पर्व भारत में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह नौ दिनों तक चलता है, जिसमें भक्तजन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं और उपवास रखते हैं।