शनिवार शनिदेव की पूजा-अर्चना के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। शनिदेव को न्याय के देवता और कर्मफल दाता के रूप में जाना जाता है। उनकी पूजा से साधक के जीवन में खुशियां आती हैं और सभी बाधाएं समाप्त हो जाती हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि कुंडली में शनि ग्रह मजबूत स्थिति में हो, तो व्यक्ति को करियर और जीवन में मनचाही सफलता मिलती है। साथ ही, सरकारी नौकरी के प्रबल योग बनते हैं। तो आइए जानते हैं प्रत्येक राशि के लिए कौन सा मंत्र जाप करना चाहिए और इसके साथ कौन से उपाय लाभकारी हो सकते हैं।
शनिवार के दिन शनिदेव की कृपा प्राप्त करने और शनि दोष, ढैय्या, व साढ़ेसाती के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए विशेष उपाय और मंत्र जाप करना चाहिए। ज्योतिषियों के अनुसार, राशि के अनुसार किए गए इन उपायों से साधक की मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं। साथ ही, शनिदेव की स्थिति मजबूत होती है और व्यक्ति आर्थिक रूप से संपन्न बनता है।
1) मेष राशि मंत्र: “ऊँ शनैश्चराय नमः”
उपाय: शनिवार को सूर्योदय से पहले स्नान करें और काले तिल, काले उड़द और सरसों के तेल का दान करें।
2) वृषभ राशि मंत्र: “ऊँ शान्ताय नमः”
उपाय: किसी गरीब को काले वस्त्र और जूते दान करें। शनि मंदिर में दीप जलाएं।
3) मिथुन राशि मंत्र: “ऊँ शरण्याय नमः”
उपाय: पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
4) कर्क राशि मंत्र: “ऊँ सर्वेशाय नमः”
उपाय: काले कंबल का दान करें और गरीबों को भोजन कराएं।
5) सिंह राशि मंत्र: “ऊँ सुन्दराय नमः”
उपाय: शनि मंदिर में काले उड़द और लोहे की वस्तु अर्पित करें।
6) कन्या राशि मंत्र: “ऊँ घनरूपाय नमः”
उपाय: पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाकर शनि चालीसा का पाठ करें।
7) तुला राशि मंत्र: “ऊँ महेशाय नमः”
उपाय: शनिदेव को नीले फूल अर्पित करें और गरीबों को सरसों का तेल दान करें।
8) वृश्चिक राशि मंत्र: “ऊँ नीलवर्णाय नमः”
उपाय: काले तिल और गुड़ का दान करें। शनिदेव की मूर्ति पर नीला वस्त्र चढ़ाएं।
9) धनु राशि मंत्र: “ऊँ वेद्याय नमः”
उपाय: काले चने और तेल का दान करें। पीपल के पेड़ की परिक्रमा करें।
10) मकर राशि मंत्र: “ऊँ वीराय नमः”
उपाय: लोहे की अंगूठी शनिवार के दिन धारण करें और शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाएं।
11) कुंभ राशि मंत्र: “ऊँ गोचराय नमः”
उपाय: किसी जरूरतमंद को छाता और काले रंग का कपड़ा दान करें।
12) मीन राशि मंत्र: “ऊँ वरिष्ठाय नमः”
उपाय: शनि मंदिर में जाकर तेल का दीपक जलाएं और गरीबों को मीठा भोजन कराएं।
अगर आप भी शनिदेव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो शनिवार के दिन विधिपूर्वक पूजा करें और अपनी राशि के अनुसार बताए गए मंत्रों का जाप करें। मान्यता है कि श्रद्धा और भक्ति से उनकी पूजा करने से बिगड़े काम भी बन जाते हैं। यह मंत्र आपकी कुंडली में शनि के दोषों को दूर करेगा और उनकी शुभ दृष्टि बनाए रखेगा। बता दें कि शनिदेव अच्छे कर्म करने वालों को शुभ फल प्रदान करते हैं, जबकि बुरे कर्मों का दंड देते हैं।
भगवान् कृष्ण ने कहा- हे पाण्डुनन्दन ! अब मैं तुम्हें बरूथिनी एकादशी व्रत का माहात्म्य सुनाता हूँ सुनिये।
भगवान् कृष्ण के मुखरबिन्द से इतनी कथा सुनकर पाण्डुनन्दन महाराज युधिष्ठिर ने उनसे कहा - हे भगवन् ! आपकी अमृतमय वाणी से इस कथा को सुना परन्तु हृदय की जिज्ञासा नष्ट होने के बजाय और भी प्रबल हो गई है।
इतनी कथा सुनने के बाद महाराज युधिष्ठिर ने पुनः भगवान् कृष्ण से हाथ जोड़कर कहा-हे मधुसूदन । अब आप कृपा कर मुझ ज्येष्ठ मास कृष्ण एकादशी का नाम और मोहात्म्य सुनाइये क्योंकि मेरी उसको सुनने की महान् अच्छा है।
एक समय महर्षि वेद व्यास जी महाराज युधिष्ठिर के यहाँ संयोग से पहुँच गये। महाराजा युधिष्ठिर ने उनका समुचित आदर किया, अर्घ्य और पाद्य देकर सुन्दर आसन पर बिठाया, षोडशोपचार पूर्वक उनकी पूजा की।