संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश का एक महत्वपूर्ण व्रत है। इसे हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। लेकिन ‘विकट संकष्टी चतुर्थी’ का विशेष महत्व है, क्योंकि यह साल में एक बार ही आती है और इस दिन भगवान गणेश के विकट स्वरूप की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत रखकर, विशेष मंत्रों का जाप और विधिवत रूप से पूजा करने से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
‘ॐ गं गणपतये नमः’ भगवान गणेश का सबसे प्रसिद्ध और लाभदायक मंत्र है। इस मंत्र का जाप सभी प्रकार के विघ्न-बाधाओं को दूर करता है और सभी कार्यों की सिद्धि करता है।
‘ॐ वक्रतुण्डाय हुं’ मंत्र भगवान गणेश के विकट स्वरूप का प्रतीक है। इस मंत्र के जाप से जीवन के संकटों से मुक्ति मिलती है और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन मंत्रों को विशेष कामनाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है। इस मंत्र का जाप करने से भक्तों को धन, यश और सफलता प्राप्त होती है तथा सुख, शांति और समृद्धि का जीवन में वास होता है।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहाॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहिॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा
संकष्टी चतुर्थी की पूजा में गणेश स्तुति का पाठ करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। इस स्तुति में भगवान गणेश की महिमा का गुणगान किया गया है, जो भक्तों की श्रद्धा को और भी दृढ़ बनाता है। ऐसा कहा जाता है कि गणेश स्तुति का नियमित पाठ करने से जीवन में आने वाली विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी पर गणेश स्तुति का पाठ करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को सुख, समृद्धि, बुद्धि तथा विवेक का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
मार्गशीर्ष माह हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है। इस माह में चंद्र दर्शन का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चंद्र दर्शन करने से व्यक्ति के जीवन में शांति और समृद्धि का आगमन होता है। चंद्र देव को मन का कारक और मानसिक संतुलन का प्रतीक माना गया है।
हिंदू धर्म में चंद्र दर्शन को अत्यंत पवित्र और लाभकारी माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चंद्रमा मन के संचालन का कारक होता है। चंद्र दर्शन के दिन चंद्र देव की पूजा करने से मन को शांति, जीवन में समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। ज्योतिष के अनुसार कमजोर चंद्रमा वाले जातकों को विशेष रूप से इस दिन व्रत और पूजा करनी चाहिए।
हिंदू धर्म में भगवान कार्तिकेय शिव-शक्ति के ज्येष्ठ पुत्र हैं। उन्हें युद्ध और बुद्धि का देवता कहा जाता है। इतना ही नहीं, भगवान कार्तिकेय को शक्ति और पराक्रम का स्वामी के रूप में भी जाना जाता है।
हाँ माँ हो तो ऐसी हो ऐसी हो
ऐसी हो काली मैय्यां तेरे जैसी हो