हर सप्ताह का एक खास दिन होता है और रविवार सूर्य देव को समर्पित माना गया है। यह दिन शक्ति, ऊर्जा और आत्मविश्वास से जुड़ा होता है। मान्यता है कि रविवार के दिन विशेष मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति को मान-सम्मान, यश और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। अगर आप भी जीवन में उजाला, प्रगति और नकारात्मकता से मुक्ति चाहते हैं, तो रविवार को सूर्य देव के इन मंत्रों का जाप अवश्य करें।
हिंदू धर्म में रविवार सूर्य देवता को समर्पित होता है, जो सभी ग्रहों के राजा माने जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को आत्मा, नेतृत्व और पिता का प्रतिनिधि माना गया है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति नियमित रूप से रविवार को सूर्यदेव की पूजा करता है, उसके जीवन में आत्मबल, आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता बढ़ती है।
आदित्य हृदय स्तोत्र
यह स्तोत्र वाल्मीकि रामायण से लिया गया है और भगवान श्रीराम को रावण युद्ध से पहले महर्षि अगस्त्य ने सुनाया था। इसे रविवार के दिन पढ़ने से शत्रु बाधा, डर और मानसिक अशांति दूर होती है।
गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥
रविवार को सुबह सूर्य को अर्घ्य देते समय गायत्री मंत्र का 11, 21 या 108 बार जाप करें। इससे बुद्धि तेज होती है और मन को स्थिरता मिलती है।
सूर्य बीज मंत्र
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः॥
यह मंत्र सूर्य देव की बीज शक्ति को जागृत करता है। इसका जाप करने से जीवन में उत्साह और सकारात्मक ऊर्जा आती है। यह मंत्र खासतौर पर उन लोगों के लिए लाभदायक है जिन्हें आलस्य, मानसिक थकान या आत्मविश्वास की कमी हो।
सूर्य अष्टक
जयाकरे जय भास्कर दिवाकर
त्रैलोक्य लोचन देव दिनेश।
नमो नमः आदित्य नमः नमः॥
यह स्तुति सूर्यदेव की आठ विशेष शक्तियों का वर्णन करती है। रविवार के दिन सूर्योदय के समय इसका पाठ करने से रोग, दरिद्रता और कष्ट दूर होते हैं।
13 जनवरी से प्रयागराज में महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है। वहीं, मकर संक्रांति के पवित्र स्नान पर करोड़ो साधु-संतों और श्रद्धालुओं ने यहां आस्था की डुबकी भी लगाई है। कुंभ नगरी में बड़ी संख्या में देशभर से साधु-संत भी पहुंचे हैं।
महाकुंभ 2025 में, गंगापुरी महाराज अपनी हाइट को लेकर सुर्ख़ियों में हैं और आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। उनकी हाइट महज 3 फिट है। इतनी लंबाई महज पांच-छह साल के बच्चे की होती है।
प्रयागराज में 13 जनवरी से जोर शोर से महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है। यहां, साधु-संतों के पहुंचने का सिलसिला अभी भी जारी है। इसी क्रम में महाकुंभ में बवंडर बाबा भी पहुंचे हैं।
महाकुंभ में इस वक्त कल्पवासी, कल्पवास कर रहे हैं। कुंभ में हजारों-लाखों लोग कल्पवास व्रत रखते हैं। कल्पवास की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस पर्व के महत्व को समझने के लिए सबसे पहले समझें कि कल्पवास का अर्थ क्या होता है।