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कौन हैं बवंडर बाबा

कौन हैं बवंडर बाबा

कौन हैं बवंडर बाबा, बाइक से ही देशभर में करते हैं भ्रमण 


प्रयागराज में 13 जनवरी से जोर शोर से महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है। यहां, साधु-संतों के पहुंचने का सिलसिला अभी भी जारी है। इसी क्रम में महाकुंभ में बवंडर बाबा भी पहुंचे हैं। ये अपनी बाइक पर एक संदेश लेकर देशभर में घूमते हैं। इनका संदेश है देवी देवताओं के चित्र को किसी प्रोडक्ट पर ना लगाया जाए। क्योंकि, इससे देवी देवताओं का अपमान होता है। ये सनातन धर्म और देवी देवताओं का अपमान ना होने की मुहिम चला रहे हैं। 
तो आइए, इस आर्टिकल में बवंडर बाबा की मुहिम और जीवन के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

जानिए विनोद कैसे बने बवंडर बाबा 


महाकुंभ में साधु-संतों के कई रंग देखने को मिल रहे हैं। ऐसे ही एक साधु ने बाइक से एंट्री ली। एंट्री ऐसी कि मानो बवंडर। अपने इसी अंदाज के लिए इस साधु को बवंडर बाबा के नाम से जाना जाता है। वैसे बवंडर बाबा का असली नाम विनोद सनातनी है। वह मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं। साथ ही फर्राटेदार अंग्रेजी भी बोलते हैं। बवंडर बाबा की माने तो उन्होंने अब तक 1.15 लाख किमी की सनातनी यात्रा बाइक से पूरी की है। उन्होंने बताया कि “14 साल की उम्र में मैंने संन्यास ले लिया था। और देश के 12 ज्योतिर्लिंग, 29 शक्तिपीठ सहित 25 राज्यों का भ्रमण अपने बाइक नुमा रथ पर कर चुका हूं।” 

जागरूकता फैलाने का करते हैं कार्य  


बवंडर बाबा का कहना है कि देवी देवताओं की तस्वीर धूपबत्ती, अगरबत्ती, कॉपी, किताब और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स आदि पर चिपकाई जाती है। देवी देवताओं की तस्वीरों के जरिए बहुत से सामान बेचे जाते हैं। परंतु, उसके बाद लोगों को यह ख्याल नहीं रहता कि देवी देवताओं की तस्वीर का वह अपमान कर रहे हैं। बवंडर बाबा कहते है कि इसी कुंभ में कई जगह यहां तक कि शौचालय के ऊपर भी किसी प्रोडक्ट में देवी देवता की तस्वीर देखी है। उनकी माने तो इस तरह के कृत्य सनातन हिंदू धर्म की शाख को खत्म करने का कार्य कर रही है, इसलिए इसपर रोक जरूरी है।  

सरकार से लेकर अदालत तक पहुंच चूके हैं बाबा 


बवंडर बाबा अपने मुहिम को सफल करने हेतु वर्षों से प्रयास कर रहे हैं। उनकी माने तो लोग प्रोडक्ट के इस्तेमाल के बाद उसे फेंक देते हैं। जिससे देवी देवताओं की तस्वीरें भी कूड़े में चली जाती हैं। इससे सनातन और देवी देवताओं का अपमान होता है। इस कारण सरकार से लेकर अदालतों तक ज्ञापन देना, इस तरह के मामले को लेकर अदालतों में चुनौती देना, नुक्कड़ नाटक और सेमिनार इत्यादि के माध्यम से वे लोगों को जागरूक कर रहे हैं। 

बाइक पर ही रखते हैं सारा सामान

 
बवंडर बाबा के बाइक पर धर्म ध्वज की एक बड़ी ध्वज पीछे लगी है। जबकि, उनके सोने और खाने-पीने का पूरा सामान भी उनकी बाइक पर बंधी हुई है। हालांकि, बवंडर बाबा किसी अखाड़े में नहीं रुकते। वह अपनी बाइक लगाते हैं, अपना बिस्तर बिछाते हैं और कहीं भी सो जाते हैं। वे महाकुंभ में आने वाले करोड़ों लोगों तक अपनी बात पहुंचाना चाहते हैं।  


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