Shukrawar Ke Mantra: सनातन धर्म में शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी और भगवान शुक्र देव को समर्पित होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन अगर श्रद्धा और विधिपूर्वक कुछ विशेष मंत्रों का जाप किया जाए तो धन, सुख और सौंदर्य से जुड़ी समस्याएं दूर हो सकती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं शुक्रवार के दिन कौन से मंत्रों का जाप करना चाहिए, जिससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहे और आर्थिक तंगी से छुटकारा मिले।
शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में बरकत बनी रहती है। अगर आप आर्थिक तंगी से परेशान चल रहे हैं, तो शुक्रवार को सुबह स्नान करके सफेद वस्त्र पहनें और मां लक्ष्मी के इन मंत्रों का जाप करें...
ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।
यह मंत्र मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने वाला अत्यंत प्रभावशाली बीज मंत्र है। इसका कम से कम 108 बार जाप करना शुभ होता है। इससे घर में पैसों की तंगी खत्म होती है और व्यापार या नौकरी में उन्नति के रास्ते खुलते हैं।
श्री सूक्त का पाठ
शुक्रवार के दिन श्री सूक्त का पाठ करना भी बेहद फलदायी होता है। श्री सूक्त मां लक्ष्मी का स्तोत्र है जिसमें उनके गुण, स्वरूप और कृपा का सुंदर वर्णन है। इसे रोज़ाना या कम से कम शुक्रवार को एक बार जरूर पढ़ना चाहिए।
अगर कुंडली में शुक्र ग्रह अशुभ है या वैवाहिक जीवन में तनाव रहता है, तो शुक्रवार के दिन भगवान शुक्रदेव के इस मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है... मंत्र है - 'ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः।'
1. ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
2. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य
नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
3. ॐ ह्री श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम
गृहे धनं पूरय पूरय चिंतायै दूरय दूरय स्वाहा ।
4. ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।
5. ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद
प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
6. ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।
7. ऊँ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नम:।।
8. या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥
जिसने भी माँ की चौखट पे,
सर को झुका लिया,
जिसने दी है मुझे पहचान,
वो अंजनी का लाला है,
झूलन चलो हिंडोलना, वृषभान नंदनी,
झूलन चलो हिडोलना, वृषभान नंदनी।
कई जन्मों से बुला रही हूँ,
कोई तो रिश्ता जरूर होगा,