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हनुमान जयंती पर करें इन मंत्रों का जाप

हनुमान जयंती पर करें इन मंत्रों का जाप

हनुमान जयंती के दिन करें इन मंत्रों का जाप, संकटों और बाधाओं से मिलती है मुक्ति 

हनुमान जयंती एक विशेष पर्व है जो भगवान हनुमान के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। भक्त इस दिन श्रद्धा और भक्ति से हनुमान जी की पूजा-अर्चना करते हैं और उनके मंत्रों का जाप कर अपने जीवन के कष्टों से मुक्ति पाने का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। हिंदू धर्म में हनुमान जी को संकटमोचन कहा जाता है, क्योंकि श्री हनुमान अपने भक्तों के सभी दुखों और कष्टों का निवारण करते हैं। 

प्रभु श्री हनुमान के विशेष मंत्र

हनुमान जयंती का दिन प्रभु हनुमान जी की पूजा-अर्चना करने का विशेष दिन होता है। इस दिन आप कई तरीकों के मंत्र पढ़कर अपने जीवन के कष्टों और बाधाओं से निजात पा सकते हैं। आइए जानते हैं उन मंत्रों के बारे में : 

  • सुंदरकांड के ‘ॐ हं हनुमते नमः’ मंत्र का जाप करें। 
  • हनुमान संहिता के ‘ॐ नमो भगवते हनुमते नमः’ मंत्र का जाप करें। 
  • हनुमान तंत्र के ‘ॐ हं पवन नन्दनाय स्वाहा’ मंत्र का जाप करें। 
  • रुद्र हनुमान तंत्र के ‘ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट’ मंत्र का जाप करें। 
  • रामायण के सुंदरकांड मे ‘अंजनी गर्भ संभूताय कपीन्द्र सचिवोत्तम रामप्रिय नमस्तुभ्यं हनुमान रक्ष रक्ष सर्वदा’ श्लोक का उल्लेख किया गया। यह श्लोक हनुमान जी को बहुत प्रिय है और इसे सुनकर प्रभु अत्यंत प्रसन्न होते हैं। 
  • हनुमान उपासना तंत्र जैसे ‘ॐ नमो भगवते पंचवदनाय पूर्वकपिमुखाय ठं ठं ठं ठं ठं सकल शत्रु संहारणाय स्वाहा’ मंत्र का जाप करें। 

हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और बजरंग बाण है बहुत गुणकारी 

  • हनुमान चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता आती है और सभी कष्टों का नाश होता है। यह पाठ बहुत ही प्रभावशाली होता है और हनुमान जी को प्रसन्न करने का सबसे उत्तम तरीका माना जाता है। इसलिए हनुमान जयंती पर हनुमान चालीसा को विशेष रूप से पढ़ना चाहिए। 
  • रामायण के सुंदरकांड का पाठ करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और सभी प्रकार के विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं।
  • बजरंग बाण का पाठ करने से जीवन में आ रही समस्याओं से निजात मिलता है। साथ ही, भक्तों को शक्ति और धैर्य का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

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लक्ष्मी पूजन मंत्र (Laxmi Pujan Mantra)

सबसे पहले माता लक्ष्मी का ध्यान करें :– ॐ या सा पद्मासनस्था, विपुल-कटि-तटी, पद्म-दलायताक्षी।

गोवर्धन पूजन कथा (Govardhan Pujan Katha)

द्वापर युग की बात हैं भगवान कृष्ण के अवतार के समय भगवान ने गोवर्धन पर्वत का उद्धार और इंद्र के अभिमान का नाश भी किया था।

धन्वंतरि स्तोत्र (Dhanvantari Stotram)

ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः।
सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम॥

गोवर्धन पूजा विधि (Govardhan Puja Vidhi)

सबसे पहले घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाएं।

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