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नटराज स्तुति पाठ

नटराज स्तुति पाठ

Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत पर पूजा के समय करें नटराज स्तुति, कोसों दूर रहेंगी समस्याएं



सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शंकर की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से घर में खुशहाली आती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, शनिवार, 11 जनवरी को शनि प्रदोष व्रत रखा जाएगा। शिव जी को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत एक उत्तम तिथि मानी जाती है। ऐसे आप इस तिथि पर विशेष महादेव की पूजा-अर्चना द्वारा सुख-समृद्धि की प्राप्ति कर सकते हैं। इस दिन पर शिव जी के मंत्रों के साथ-साथ नटराज स्तुति का पाठ करना भी विशेष लाभकारी माना जाता है।
नटराज स्तुति पाठ बेहद शक्तिशाली है। इसका नित्य पाठ करने से ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर किया जा सकता है। नटराज दो शब्दों से बना है, पहला नट अर्थात कला व दूसरा राज। यह भगवान शिव की संपूर्ण कलाओं को दर्शाता हैं। बता दें कि नटराज स्तुति पाठ का जाप सुबह स्नान करने के बाद नटराज की मूर्ति के समक्ष बैठकर करना चाहिए। 


प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त 


हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 11 जनवरी को सुबह 08 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, 12 जनवरी को सुबह 06 बजकर 33 मिनट पर इसका समापन होगा। इस दिन प्रदोष काल की पूजा का महत्व है। ऐसे में 11 जनवरी को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। 



।। नटराज स्तुति पाठ।।



सत सृष्टि तांडव रचयिता
नटराज राज नमो नमः ।
हे आद्य गुरु शंकर पिता
नटराज राज नमो नमः ॥

गंभीर नाद मृदंगना
धबके उरे ब्रह्माडना ।
नित होत नाद प्रचंडना
नटराज राज नमो नमः ॥

शिर ज्ञान गंगा चंद्रमा
चिद्ब्रह्म ज्योति ललाट मां ।
विषनाग माला कंठ मां
नटराज राज नमो नमः ॥

तवशक्ति वामांगे स्थिता
हे चंद्रिका अपराजिता ।
चहु वेद गाए संहिता
नटराज राज नमोः ॥


नटराज स्तुति महत्व


यह पाठ करने से भोलेनाथ की कृपा व्यक्ति पर बनी रहती है। इस स्त्रोत के पाठ से व्यक्ति को ग्रहों के अशुभ प्रभाव से भी मुक्ति मिलती है। क्योंकि भगवान शिव का सभी ग्रहों पर आधिपत्य माना जाता है। वहीं चंद्रमा तो भोलेनाथ के सिर पर विराजित हैं। इसलिए नटराज स्तुति का पाठ करने से ग्रह के अशुभ दोषों से मुक्ति मिलती है। 


शिव जी के मंत्र 


ॐ नमः शिवाय॥
महामृत्युञ्जय मन्त्र - ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्, उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
शिव गायत्री मन्त्र - ॐ महादेवाय विद्महे रुद्रमूर्तये धीमहि तन्नः शिवः प्रचोदयात्॥

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मेरो मॅन लग्यॉ बरसाने मे (Mero Man Lagyo Barsane Mei Jaha Viraje Radharani)

बोलो राधे राधे, बोलो श्यामा श्यामा
बोलो राधे राधे, बोलो श्यामा श्यामा

मेरो राधा रमण गिरधारी (Mero Radha Raman Girdhaari)

मेरो राधा रमण गिरधारी,
गिरधारी श्याम बनवारी,

म्हने हिचक्या आवे जी (Mhane Hichkiyan Aave Ji)

अरज लगावे जी,
सांवरिया थासु अरज लगावे जी,

मुझे चरणो से लगा ले, मेरे श्याम मुरली वाले (Mujhe Charno Se Lagale Mere Shyam Murliwale)

मुझे चरणो से लगा ले,
मेरे श्याम मुरली वाले,

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