वास्तु शास्त्र प्रकृति और मानव जीवन के बीच सामंजस्य स्थापित करने वाला प्राचीन विज्ञान है। जब किसी भवन या स्थान में वास्तु के सिद्धांतों का पालन नहीं होता, तो वहां नकारात्मक ऊर्जा या समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इन्हीं दोषों को दूर करने के लिए वास्तु दोष निवारण पूजा या वास्तु शांति पूजा की जाती है।
यह पूजा जीवन में समृद्धि, सौभाग्य, और सकारात्मक ऊर्जा लाने में सहायक मानी जाती है। माना जाता है कि वास्तु शांति पूजा पंच तत्वों—पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश—के संतुलन को पुनर्स्थापित करती है और घर या कार्यस्थल में सकारात्मक वातावरण बनाती है।
वास्तु शांति पूजा खासतौर पर गृह प्रवेश के समय, नए व्यवसाय की शुरुआत में, रिनोवेशन के बाद या लंबे समय बाद किसी स्थान पर लौटने पर की जाती है। इसके अलावा जब कोई भवन वास्तु सिद्धांतों के विरुद्ध बन जाए, या पुराने घर में नई ऊर्जा भरनी हो, तब भी यह पूजा की जाती है।
यह पूजा केवल धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि एक ऊर्जा संतुलन की प्रक्रिया है, जिससे जीवन में स्थिरता, सफलता और शांति आती है। यह प्रकृति, ग्रहों और हमारे भीतर की शक्ति के बीच तालमेल बैठाकर बेहतर जीवन की दिशा में एक कदम है।
अगर आप अपने घर या ऑफिस में अनचाहे तनाव, बाधाओं या रुकावटों का अनुभव कर रहे हैं, तो वास्तु शांति पूजा कराना एक सकारात्मक और प्रभावी समाधान हो सकता है।
जय जय जय हनुमान अडंगी ।
महावीर विक्रम बजरंगी ॥
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
तमिलनाडु में हनुमान जयंती मार्गशीर्ष अमावस्या के दौरान मनाई जाती है। यह दिन हनुमान जी को समर्पित है। हिंदू पौराणिक कथाओं में, हनुमान जी शक्ति, भक्ति और निस्वार्थ सेवा के प्रतीक हैं।
श्री राम तेरी महिमा से,
काम हो गया है,