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महिषासुर वध से जुड़ी है गरबा की कहानी, जानिए कैसै मनाई जाती है गुजरात में नवरात्रि

महिषासुर वध से जुड़ी है गरबा की कहानी, जानिए कैसै मनाई जाती है गुजरात में नवरात्रि

गुजरात में नवरात्रि का त्योहार एक ऐसा समय होता है जब पूरा राज्य हर्षोल्लास और भक्ति रस में डूबा होता है। 09 दिनों का ये भव्य उत्सव देवी दुर्गा की पूजा और पारंपरिक नृत्य गरबा और डांडिया रास के साथ ही मनाया जाता है। इस दौरान हर गली और हर मोहल्ले को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया जाता है। साथ ही गुजराती संगीत से प्रदेश का माहौल भक्तिमय हो उठता है। लोग पारंपरिक परिधानों में सजे हुए माँ दुर्गा की आराधना करते हैं और रात भर पारंपरिक नृत्य करते हैं। 


शक्ति और भक्ति का संगम


गुजरात में नवरात्रि का पर्व बहुत ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इसे राज्य का सबसे बड़ा सांस्कृतिक और धार्मिक उत्सव माना जाता है।  इस दौरान श्रद्धालु देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं और गरबा और डांडिया रास के जरिए अपनी श्रद्धा को व्यक्त करते हैं। यह त्योहार शक्ति और भक्ति का एक अद्वितीय संगम होता है। जहाँ लोग पूरी श्रद्धा से माता दुर्गा की आराधना करते हैं और रात भर गरबा और डांडिया नृत्य करते हैं। इन नृत्यों की सबसे खास बात यह होती है कि यह सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि देवी दुर्गा की आराधना का एक महत्वपूर्ण अंग माने जाते हैं।  


गरबा से व्यक्त की जाती है आस्था 


गरबा नृत्य का मूल भाव माँ दुर्गा की पूजा और उनके प्रति आस्था को व्यक्त करना ही होता है। गरबा मुख्य रूप से महिलाएँ करती हैं और इसमें वे माँ दुर्गा की मूर्ति के चारों ओर गोल घेरा बनाकर भव्य नृत्य पेश करती हैं। गरबा नृत्य में विशेष पारंपरिक परिधान का उपयोग किया जाता है। जिसमें घाघरा-चोली, रंग-बिरंगी चूड़ियाँ और चांदी के गहने पहने जाते हैं। गरबा के दौरान महिलाएँ माँ दुर्गा के गुणगान और भक्ति गीतों पर नृत्य करती हैं।


तलवारों का नृत्य है डांडिया


वहीं डांडिया गरबा नृत्य से थोड़ा अलग होता है। यह नृत्य मुख्य रूप से पुरुषों और महिलाओं के द्वारा किया जाता है। इसमें दो रंगीन डांडिया यानी छड़ियों का उपयोग होता है। डांडिया को दरअसल 'तलवारों का नृत्य' भी कहा जाता है। जो देवी दुर्गा और महिषासुर के युद्ध का प्रतीक माना जाता है। इस नृत्य में समूह में भाग लिया जाता है और इसमें भी लोग विशेष पारंपरिक परिधानों में सजे-धजे होते हैं। डांडिया नृत्य ना केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी लोकप्रिय है।


गुजरात में नवरात्रि का सांस्कृतिक महत्व


गुजरात में नवरात्रि का केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक महत्त्व भी होता है। यह त्योहार लोगों को उत्साह, उमंग और एकता का संदेश भी प्रदान करता है। गरबा और डांडिया केवल नृत्य नहीं हैं बल्कि लोगों को एक साथ लाने और एक दूसरे के प्रति सम्मान और प्यार व्यक्त करने का जरिया भी है। नवरात्रि के समय हर व्यक्ति अपनी चिंताओं को भूलकर पूरी भक्ति और आनंद के रस में गोते लगाता है।


नवरात्रि में होता है विशेष आयोजन


बता दें कि गुजरात में नवरात्रि के दौरान यहां के प्रमुख शहरों जैसे वडोदरा, अहमदाबाद और सूरत इत्यादि में विशेष आयोजन होते हैं। इन आयोजनों में स्थानीय कलाकारों के साथ-साथ देशभर से आए कलाकार भी अपनी सहभागिता सुनिश्चित करते हैं। इन 09 दिनों में गुजरात की सड़कों और गलियों और मोहल्लों में एक अलग ही रौनक और माहौल देखने को मिलता है। जान लें कि नवरात्रि का यह पर्व गुजरात राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को भी बखूबी दर्शाता है। यह त्योहार हमें एकता, प्रेम और भक्ति का संदेश भी देता है। जो हमारे समाज की संरचना को और भी सुदृढ़ बनाता है।  


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