नौरता की रात मैया,
गरबे रमवा आणो है,
थाने वादों निभाणो है,
नौरता की रात ॥
साथी सहेलियां,
मईया जोवे थारी बाट,
मईया जी थाने आवणो,
माथा पे हो टीका,
काना में हो झुमका,
सज ने थाणे आवणो,
नौरता की रात मईया,
गरबे रमवा आणो है,
थाणे वादे निभाणो है,
नौरता की रात ॥
हाथा में हो चुडलो,
पावा में हो पायल,
हो छम छम करती आवणो,
सर पे हो चुनरिया,
लाले हो रंग री,
घुंगटा में थाणे आवणो,
नौरता की रात मईया,
गरबे रमवा आणो है,
थाणे वादों निभाणो है,
नौरता की रात ॥
नौरता की रात मैया,
गरबे रमवा आणो है,
थाने वादों निभाणो है,
नौरता की रात ॥
चैत्र नवरात्रि का पर्व भारत में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह नौ दिनों तक चलता है, जिसमें भक्तजन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं और उपवास रखते हैं।
चैत्र नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा की आराधना के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं। इन दिनों में विशेष पूजा, उपवास और साधना करने से भक्तों को मनोवांछित फल प्राप्त होता है।
हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। यह साल में चार बार आती है, जिनमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि को गृहस्थ लोग बड़े धूमधाम से मनाते हैं, जबकि माघ और आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि विशेष रूप से तंत्र साधना के लिए महत्वपूर्ण होती हैं।
हर साल चैत्र नवरात्रि चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है। साल 2025 में चैत्र नवरात्रि 30 मार्च, रविवार से शुरू हो रही है। नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की जाती है, जिसका विशेष महत्व माना जाता है।