रंग पंचमी चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व होली के ठीक पाँच दिन बाद आता है और इसमें रंगों के माध्यम से देवी-देवताओं की आराधना की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और देवी राधा की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इसके अलावा, इस दिन किए गए मंत्र जाप से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में शांति व सौभाग्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं रंग पंचमी के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और विशेष मंत्रों के बारे में।
चैत्र कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि का आरंभ 29 मार्च 2025 को रात 08:20 बजे होगा और यह 30 मार्च 2025 को रात 09:13 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, रंग पंचमी 30 मार्च 2025, शनिवार को मनाई जाएगी। इस दिन देवताओं के साथ होली खेलने का सबसे शुभ समय सुबह 07:46 से 09:19 तक रहेगा। इस दौरान किए गए पूजा-पाठ और मंत्र जाप से विशेष फल की प्राप्ति होगी।
इस दिन विशेष मंत्रों का जाप करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। कुछ प्रमुख मंत्र इस प्रकार हैं:
इन मंत्रों का विधिपूर्वक जाप करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। इस रंग पंचमी पर विधि-विधान से पूजा करें और अपने जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करें।
हिंदू धर्म के अनुसार सप्ताह के सात दिन अलग-अलग देवी-देवताओं को समर्पित है। इन मान्यताओं के अनुसार हम प्रत्येक दिन किसी-न-किसी देवी-देवता की पूजा आराधना करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयत्न करते हैं।
सुबह ही क्यों की जाती है भगवान की पूजा, जानिए पूजा के पांच समय
सनातन परंपरा के अनुसार संसार में अब तक चार युग हुए हैं। इन चार युगों को सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग और कलि युग कहा गया है। संसार का आरंभ सतयुग से हुआ। त्रेता युग में विभिन्न देवताओं ने विभिन्न अवतारों के साथ धर्म की रक्षा की। इसमें प्रमुख रूप से रामावतार में भगवान विष्णु ने धर्म की स्थापना की और पापियों का नाश किया।
त्रेता युग में भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में अवतार लिया। रामावतार श्री हरि विष्णु के परमावतारों में से एक है। श्री राम अवतार में भगवान ने मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में सांसारिक लीलाएं की और रावण का वध कर संसार को पापों से मुक्ति दिलाई और धर्म की स्थापना की।