हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास साल का तीसरा महीना होता है और इस बार यह महीना 13 मई 2025 से शुरू होकर 11 जून 2025 तक रहेगा। यह महीना भगवान सूर्य को समर्पित माना जाता है और इसे पुण्य प्राप्ति का समय माना जाता है। इस मास में स्नान, दान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है। विशेष रूप से गंगा स्नान को बहुत ही पवित्र और फलदायी माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस महीने में कुछ काम करना शुभ होता है, तो वहीं कुछ कार्यों को करने से अशुभ फल मिलते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं ज्येष्ठ महीने में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। जानिए इस माह में क्या करें और क्या न करें...
ज्येष्ठ मास में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है गंगा स्नान। अगर गंगा स्नान संभव न हो तो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना भी पुण्यकारी होता है। इस महीने में भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी, भगवान सूर्यदेव और भगवान शिव की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। इस महीने में दान-पुण्य का महत्व भी अत्यधिक होता है। आप अन्न, वस्त्र, धन या जल का दान कर सकते हैं। खासतौर पर जल का दान इस महीने में विशेष फल देता है क्योंकि गर्मी अधिक होने के कारण यह जरूरतमंदों के लिए राहत देता है। साथ ही, मंत्र जाप और ध्यान करने से मन शांत रहता है और मानसिक सुख की प्राप्ति होती है। ज्येष्ठ मास में तिल का दान करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है। इस मास में जरूरतमंदों की मदद करने से जीवन में सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
इस महीने में दिन में सोना अशुभ माना जाता है क्योंकि इससे शरीर में सुस्ती आती है और स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। साथ ही शरीर पर तेल लगाना भी वर्जित माना गया है। परिवार में अगर सबसे बड़ा बेटा या बेटी है तो इस मास में उसका विवाह नहीं करना चाहिए क्योंकि यह समय वैवाहिक आयोजनों के लिए उचित नहीं माना गया है। इस पवित्र मास में मांस और मदिरा का सेवन बिल्कुल वर्जित है क्योंकि यह शारीरिक और मानसिक शुद्धता को नष्ट कर सकता है। इसके अलावा, यदि कोई मेहमान या भिक्षुक आपके घर आता है, तो उसे बिना जल या भोजन दिए नहीं लौटाना चाहिए। इस मास में अतिथि सेवा और दूसरों की मदद करना विशेष पुण्यदायक होता है।
तेरे स्वागत में मैया जी,
मैंने पलके बिछाई है,
तेरी अंखिया हैं जादू भरी,
बिहारी मैं तो कब से खड़ी ॥
तेरे डमरू की धुन सुनके,
मैं काशी नगरी आई हूँ,
तेरे दर जबसे ओ भोले,
आना जाना हो गया,