Logo

छोटी दिवाली क्यों मनाई जाती है

छोटी दिवाली क्यों मनाई जाती है

Choti Diwali 2024: क्यों मनाई जाती है छोटी दिवाली,  जानें भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी इसकी कथा


दिवाली से ठीक एक दिन पहले यानी 30 अक्टूबर को छोटी दिवाली मनाई जाएगी। जिसे नरक चतुर्दशी, यम दिवाली, काली चौदस या रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है। छोटी दिवाली हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। 


दिवाली हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है। जिसकी धूम पूरे भारतवर्ष में देखने को मिलती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान राम 14 वर्षों के वनवास से अयोध्या वापस लौटे थे। इसी खुशी में दिवाली का पर्व मनाया जाता है। इस साल यानी 2024 में दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जा रही है। 


लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिवाली से ठीक एक दिन पहले यानी 30 अक्टूबर को छोटी दिवाली भी मनाई जाती है। जिसे नरक चतुर्दशी, यम दिवाली, काली चौदस या रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है। छोटी दिवाली कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। आइए इस लेख में जानते हैं छोटी दिवाली क्यों मनाई जाती है। इससे जुड़ी पौराणिक कथा क्या है।


छोटी दिवाली 2024 कब है


पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 30 अक्टूबर को सुबह 01 बजकर 15 मिनट से हो रहा है, जो 31 अक्टूबर को दोपहर में 03 बजकर 52 मिनट तक जारी रहेगी। दरअसल, छोटी दिवाली का त्योहार कार्तिक माह के कृष्ण चतुर्दशी की रात में मनाया जाता है। ऐसे में 30 अक्टूबर के दिन ही छोटी दीपावली का त्योहार मनाया जाएगा।


छोटी दिवाली से जुड़ी पौराणिक कथा


छोटी दिवाली को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। उन्हीं में से एक कथा के अनुसार, एक बार भौमासुर (जिसे नरकासुर भी कहा जाता है) नाम के राक्षस के अत्याचारों से तीनों लोकों में हाहाकार मचा हुआ था। उसने अपनी शक्तियों से कई देवताओं पर विजय पा ली थी। क्योंकि उसकी मृत्यु केवल किसी स्त्री के हाथ ही हो सकती थी इसलिए उसने हजारों कन्याओं का हरण कर लिया था। इस पर इंद्रदेव भगवान कृष्ण के पास संसार की रक्षा की प्रार्थना लेकर पहुंचते हैं। इंद्र देव की प्रार्थना स्वीकार करते हुए भगवान श्रीकृष्ण अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ गरुड़ पर आसीन होकर नरकासुर राक्षस का संहार करने पहुंचते हैं। 


श्रीकृष्ण की पत्नी ने किया राक्षस का वध


भगवान श्रीकृष्ण ने सत्यभामा को अपना सारथी बनाया और उनकी सहायता से नरकासुर का वध कर डाला। नरकासुर का वध करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण और सत्यभामा ने उसके द्वारा हरण की गई लगभग 16,100 कन्याओं को मुक्त कराया। जब यह कन्याएं अपने घर वापस लौटी तो उन्हें समाज और उनके परिवार ने अपनाने से इनकार कर दिया। ऐसे में उन सभी कन्याओं को आश्रय देने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने उन सभी को अपनी पत्नियों के रूप में स्वीकार किया। इनके साथ ही श्रीकृष्ण की 8 मुख्य पटरानियां भी थीं। इस मान्यता की वजह से ही श्रीकृष्ण की 16,108 रानियां मानी जाती हैं। चतुर्दशी तिथि पर ही भगवान श्रीकृष्ण ने उस राक्षस का वध किया था। जिसके बाद नरकासुर की माता ने घोषणा की कि उसके पुत्र के मृत्यु के दिन को मातम के तौर पर ना मना कर एक उत्सव के रूप में मनाया जाए। यही वजह है कि इस दिन छोटी दिवाली मनाई जाती है। चतुर्दशी को ही नरकासुर का वध हुआ था इसलिए इस तिथि को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है। 


छोटी दिवाली पर यम को दीपक लगाने का विधान 


बता दें कि छोटी दिवाली के दिन मृत्यु के देवता माने जाने वाले यमराज की पूजा करने का विधान भी है। इस दिन शाम के समय घर की दक्षिण दिशा में यम के नाम का दीपक और बाकी जगहों पर दिवाली के दीपक जलाने की भी परंपरा है। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही इस दिन यम के नाम का दीपक जलाने से अकाल मृत्यु का खतरा पूरी तरह टल जाता है। इसके अलावा नरक में मिलने वाली यातनाओं से भी छुटकारा मिलता है।

छोटी दिवाली के मौके पर घर की साफ सफाई और सजावट की जाती है। घर का कबाड़ और बिगड़ा हुआ सामान बाहर निकाल दिया जाता है। शाम में घर के द्वार के दोनों कोनों में दीया जलाया जाता है। 


........................................................................................................
राधा का चितचोर कन्हैया (Radha Ka Chitchor Kanhaiya)

राधा का चितचोर कन्हैया,
दाऊजी का नटखट भैया,

राम भक्त लें चला रे, राम की निशानी (Ram Bhakt Le Chala Re Ram Ki Nishani)

राम भक्त ले चला रे,
राम की निशानी ॥

राम भी मिलेंगे तुझे, श्याम भी मिलेंगे (Ram Bhi Milenge Tujhe Shyam Bhi Milenge)

राम भी मिलेंगे तुझे,
श्याम भी मिलेंगे,

राम दरबार है जग सारा (Ram Darbar Hai Jag Sara)

राम दरबार है जग सारा,
राम ही तीनो लोक के राजा,

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang