भारत में धनतेरस, जिसे धन त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है, पांच दिवसीय दिवाली उत्सव की शुरुआत मानी जाती है। इस वर्ष यह दिन आज यानी 29 अक्टूबर (मंगलवार) को है। सदियों से आज तक सोने जैसे धातु की प्रासंगिकता लगातार बनी हुई है। इस दिन सोने की खरीदारी की एक प्रथा बन चुकी है। पर ऐसा क्यों है? दरअसल, इसके पीछे भी एक एक राजकुमार उसके जान और यम की एक रोचक कहानी है।
कहानी है कि एक भविष्यवक्ता ने भविष्यवाणी की थी कि राजा हिमा का पुत्र, 16 वर्षीय युवा राजकुमार अपनी शादी के चौथे ही दिन सांप के काट लेने से असामयिक मृत्यु को प्राप्त हो जाएगा। इसलिए, ऐसा होने से रोकने के लिए उसकी नवविवाहित पत्नी ने कमरे के प्रवेश द्वार पर अपने सभी सोने और चांदी के आभूषणों का एक ढेर बनाया और उसके चारों ओर कई दीपक जलाए। जब मृत्यु के देवता यम सांप के भेष में राजकुमार के दरवाजे पर पहुंचे, तो वह लैंप और आभूषणों की चमक से अंधे हो गए। उसी दिन से इसे धनतेरस के रूप में मनाया जाने लगा। वहीं, एक और किंवदंती कहती है कि धनतेरस धन्वंतरि की जयंती का प्रतीक है। ऐसा कहा जाता है कि धनतेरस के दिन ही भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन के दौरान अमृत का घड़ा लेकर समुद्र से निकले थे।
दिवाली उत्सव में लोग सोना जरूर खरीदते हैं। धनतेरस पर सोना खरीदने के पीछे यह मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई हर वस्तु में 13 गुना वृद्धि हो जाती है। सोने को सबसे महंगी धातु माना जाता है और इस दिन सोना खरीदने के पीछे लोगों का विश्वास होताहै कि उसमें 13 गुना वृद्धि होकर उन्हें अच्छा रिटर्न मिलेगा।
धनतेरस को रात के समय 13 दीपक जलाना काफी शुभ माना जाता है। इसके लिए 13 दीपक लें और उसमें घी, बाती लगाने के साथ 1-1 कौड़ी भी रखें। इन दीपकों को घर के आंगन में रख दें। ऐसा करने से जीवन में सुख- समृद्धि बनी रहेगी। साथ ही धन के देवता कुबेर मेहरबान रहेंगे।
धनतेरस के दिन 5 गोमती चक्र लेकर उसमें केसर और चंदन से ‘श्रीं ह्रीं श्री’ लिखें। इसके बाद लक्ष्मी जी की विधिवत पूजा करें। बाद में आप चाहे, तो इन गोमती चक्र को एक साफ लाल रंग के कपड़े में बांध धन वाले स्थान में रख लें। ऐसा करने से धन आगमन के योग बनते हैं। साथ ही मां लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है।
धनतेरस के दिन कुबेर भगवान के साथ मां लक्ष्मी की पूजा करें। इसके साथ ही मां लक्ष्मी को एक जोड़ा लौंग चढ़ा दें। ऐसा रोजाना करें। ऐसा करने से धन संबंधी समस्याएं समाप्त हो जाती है। साथ ही धन में वृद्धि के योग बनते हैं।
ऊँ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।
“श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा!”
“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:”
अगर किसी कार्य में सफलता हासिल नहीं हो रही है तो मां लक्ष्मी के इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
वैदिक पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह पूर्णिमा तिथि आती है, और इस दिन व्रत का विधान होता है। हालांकि, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली पूर्णिमा को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।
सनातन धर्म में हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। इस यात्रा को रथ महोत्सव और गुंडिचा यात्रा के नाम से भी जाना जाता है।
हनुमान जी का जन्मोत्सव हर वर्ष चैत्र शुक्ल पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। उनकी कृपा से व्यक्ति को सभी प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है। अभिजीत मुहूर्त में पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
गणेश चतुर्थी को गणपति जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन संपूर्ण विधि-विधान के साथ घर में एक दिन, दो दिन, तीन दिन या फिर 9 दिनों के लिए गणेश जी की स्थापना की जाती है।