Logo

वन में चले रघुराई (Van Me Chale Raghurai )

वन में चले रघुराई (Van Me Chale Raghurai )

वन में चले रघुराई,

संग उनके सीता माई,

राजा जनक की जाई,

राजा जनक की जाई ॥


आगे आगे राम चले है,

पीछे लक्ष्मण भाई,

जिनके बिच में चले जानकी,

शोभा बरनी न जाई,

वन को चले रघुराई,

संग उनके सीता माई,

राजा जनक की जाई,

राजा जनक की जाई ॥


राम बिना मेरी सुनी रे अयोध्या,

लक्ष्मण बिन चतुराई,

सीता बिना सुनी रे रसोई,

कौन करे ठकुराई,

वन को चले रघुराई,

संग उनके सीता माई,

राजा जनक की जाई,

राजा जनक की जाई ॥


सावन बरसे भादव गरजे,

पवन चले पुरवाई,

कौन बिरख निचे भीजत होंगे,

राम लखन दो भाई,

वन को चले रघुराई,

संग उनके सीता माई,

राजा जनक की जाई,

राजा जनक की जाई ॥


रावण मार राम घर आये,

घर घर बंटती बधाई,

माता कौशल्या करत आरती,

शोभा बरनी न जाई,

वन को चले रघुराई,

संग उनके सीता माई,

राजा जनक की जाई,

राजा जनक की जाई ॥


वन में चले रघुराई,

संग उनके सीता माई,

राजा जनक की जाई,

राजा जनक की जाई ॥

........................................................................................................
गंगा दशहरा स्नान-दान मुहूर्त

गंगा दशहरा हिन्दू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व मां गंगा के धरती पर अवतरण की स्मृति में मनाया जाता है।

गंगा दशहरा पर करें ये दान

गंगा दशहरा, इस वर्ष 5 जून को मनाया जाएगा। यह पर्व गंगा मैया के धरती पर अवतरण की स्मृति में मनाया जाता है और इस दिन का विशेष महत्व गंगा स्नान और दान-पुण्य के लिए होता है।

गंगा दशहरा की कथा

गंगा दशहरा हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और श्रद्धा से जुड़ा पर्व है, जिसे ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है।

गंगा दशहरा पर स्तोत्र पाठ

गंगा दशहरा का पर्व हिंदू धर्म में अत्यंत पुण्यदायक माना गया है। यह पर्व गंगा मैया के धरती पर अवतरण की स्मृति में मनाया जाता है और इस दिन का विशेष महत्व गंगा स्नान, दान-पुण्य और पितृ तर्पण से जुड़ा होता है।

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang