तोरी बगिया में आम की डाल,
कोयल बोले कुहू कुहू ॥
बगिया में माई आसन लागो,
आसन बैठो आन,
कोयल बोले कुहू कुहू ॥
बाग़ में तोरी झूला डरो है,
झूला झूलो आन,
कोयल बोले कुहू कुहू ॥
बाग में भोजन थाल लगी है,
जीमो जीमो आन,
कोयल बोले कुहू कुहू ॥
बाग में तोरी दुखिया बैठे,
विनती सुनलो आन,
कोयल बोले कुहू कुहू ॥
‘राजेंद’ भेंट लये ठाड़े हैं,
भेंट लो जल्दी आन,
कोयल बोले कुहू कुहू ॥
तोरी बगिया में आम की डाल,
कोयल बोले कुहू कुहू ॥
सनातन धर्म में अग्नि देवता को देवताओं का मुख माना जाता है। वे देवताओं और मनुष्यों के बीच एक संदेशवाहक भी माने जाते हैं। अग्नि देवता यज्ञों के देवता भी हैं।
भगवान कार्तिकेय को सुब्रमण्यम, कार्तिकेयन, स्कंद और मुरुगन जैसे नामों से जाना जाता है। वे शक्ति और विजय के देवता हैं। उनकी आराधना से जीवन में सुख-समृद्धि, सफलता और सभी प्रकार की बाधाओं का निवारण होता है।
मेरे हृदये करो परवेश जी,
मेरे काटो सकल कलेश जी ॥
मेरे कंठ बसो महारानी,
ना मैं जानू पूजा तेरी,