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शेरावाली की नज़र जिसपे पड़ने लगी (Sherawali Ki Nazar Jispe Padne Lagi)

शेरावाली की नज़र जिसपे पड़ने लगी (Sherawali Ki Nazar Jispe Padne Lagi)

शेरावाली की नज़र जिसपे पड़ने लगी,

जिसपे पड़ने लगी,

देखो तक़दीर उसकी संवरने लगी,

संवरने लगी ॥


माँ के पावन नवराते आ गए,

घर घर में जगराते होने लगे,

जिस घर अंगना माँ की पावन,

ज्योति जगी, हाँ ये ज्योति जगी,

देखो तक़दीर उसकी संवरने लगी,

संवरने लगी ॥


आजा बनके सवाली माँ के द्वार पे,

तेरा जीवन संवर जाए माँ के नाम से,

जो भी दर आया गया नहीं,

खाली कभी, खाली कभी,

देखो तक़दीर उसकी संवरने लगी,

संवरने लगी ॥


ज्वाला माँ तेरे सब दुःख हरेगी,

चिंतपूर्णी माँ तेरी सारी चिंता हरे,

सच्चे मन से कर ले जो,

मैया की भक्ति, माँ की भक्ति,

देखो तक़दीर उसकी संवरने लगी,

संवरने लगी ॥


अष्टमी का देखो वो दिन आ गया,

कंजको का बुलावा लगने लगा,

हलवा पूरी का भोग लगाओ,

करो आरती, करो आरती,

देखो तक़दीर उसकी संवरने लगी,

संवरने लगी ॥


शेरावाली की नज़र जिसपे पड़ने लगी,

जिसपे पड़ने लगी,

देखो तक़दीर उसकी संवरने लगी,

संवरने लगी ॥


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यजुर्वेद (Yajurveda)

यजुर्वेद संस्कृत के दो शब्द यजुष् और वेद शब्द की संधि से बना हुआ शब्द है। यज का अर्थ होता है समर्पण जिसमें यज्ञ यानी हवन को समर्पण की क्रिया माना जाता है।

सामवेद (Samveda)

साम शब्द का अर्थ होता है गायन या गाना। सामवेद में गायन विद्या का भंडार है और माना जाता है कि यहीं से संगीत की उत्पत्ती हुई है। इस वेद में समस्त स्वर, ताल, लय, छंद, गति, मंत्र, स्वरचिकित्सा, राग, नृत्य मुद्रा और भाव के बारे में भी जानकारी मिलती है।

अथर्ववेद (Atharvaveda)

अथर्ववेद की रचना और उसके स्वरूप के आधार पर ऐसा माना जाता है कि इस वेद की रचना चारों वेदों में सबसे आखिर में हुई थी।

न्याय शास्त्र (Niyaye Sastra)

न्याय शास्त्र की रचना महर्षि गौतम द्वारा की गई थी.

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