रंग बरसे देखो रंग बरसे,
रंग बरसे देखो रंग बरसे,
शेरोवाली के दरबार में रंग बरसे,
अम्बेवाली दे दरबार में रंग बरसे,
ढोल नगाड़ों ढोलक बजे,
ढोल नगाड़ों ढोलक बजे,
सारे भगत यहाँ झूम के नाचे,
सारे भगत यहाँ झूम के नाचे,
माँ को मनाये सब नच नच के,
शेरोवाली के दरबार में रंग बरसे,
सब से ऊँचा धाम तुम्हारा,
सब से ऊँचा धाम तुम्हारा,
जग में पावन नाम तुम्हारा,
जग में पावन नाम तुम्हारा,
जग जाए किस्मत दर्शन से,
शेरोवाली के दरबार में रंग बरसे,
जोता वाली के दरबार में रंग बरसे,
भक्तो के सब काम बनाये,
भक्तो के सब काम बनाये,
जब भी पुकारे मैया दौड़ी आये,
जब भी पुकारे मैया दौड़ी आये,
काट दिये संकट जन जन के,
शेरोवाली के दरबार में रंग बरसे,
जोता वाली के दरबार में रंग बरसे,
मोहन कौशिक वो तर जाते,
मोहन कौशिक वो तर जाते,
जो सुख में सुमरन कर पाते,
जो सुख में सुमरन कर पाते,
गये हरीश भी तन मन से,
शेरोवाली के दरबार में रंग बरसे,
जोता वाली के दरबार में रंग बरसे,
फाल्गुन मास का प्रारंभ होते ही हिंदू धर्म में कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार आते हैं। फाल्गुन मास में मनाए जाने वाला रंगों का त्यौहार जिसे हम होली कहते हैं।
होलाष्टक का समय फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से पूर्णिमा (होलिका दहन) तक रहता है। यह अवधि अशुभ मानी जाती है, इसलिए विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते।
गोवर्धन पूजा का त्योहार दिवाली के बाद मनाया जाता है। यह पर्व उस ऐतिहासिक अवसर की याद दिलाता है जब भगवान कृष्ण ने अपने भक्तों को प्रकृति के प्रकोप से बचाने के लिए इंद्र के अहंकार को कुचल दिया था।
नरसिंह द्वादशी के दिन भगवान विष्णु के सिंह अवतार की पूजा की जाती है। पौराणिक कथा और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी तिथि पर भगवान विष्णु ने भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए नरसिंह रूप में अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया था।