आओ प्यारे भक्तों,
भोले बाबा को मनाएं हम,
फूलों से सवारी,
महाकाल की सजाए हम,
करता धराशाई पापियों की चाल,
ऐसा न्याय प्रिय है मेरा महाकाल,
उज्जैन भ्रमण को निकले,
मेरे महाकाल,
सवारी महाकाल की आई,
सवारी महाकाल की आईं,
ॐ नम: शिवाय ॐ नम: शिवाय ॥
मल कर तन पर भस्मी,
वो तो पहने मृग की छाल,
मेरे महाकाल मेरे महाकाल,
आदि से आदि है वो,
अनंत महाकाल,
मेरे महाकाल मेरे महाकाल,
डमरू वाला देखो,
करे है कमाल,
सवारी महाकाल की आईं,
सवारी महाकाल की आईं,
ॐ नम: शिवाय ॐ नम: शिवाय ॥
करपूर गौरम करूणावतारम,
संसार सारम भुजगेन्द्र हारम,
सदा वसंतम हृदयारविंदे,
भवम भवानी सहितं नमामि ॥
कालो का भी काल वो तो,
मेरा महाकाल,
मेरे महाकाल मेरे महाकाल,
देखा हमने कई बार,
पापियों हाल,
मेरे महाकाल मेरे महाकाल,
अंग भभुति तिरपुंड लगाए हम,
सवारी महाकाल की आईं,
सवारी महाकाल की आईं,
ॐ नम: शिवाय ॐ नम: शिवाय ॥
आओ प्यारे भक्तों,
भोले बाबा को मनाएं हम,
फूलों से सवारी,
महाकाल की सजाए हम,
करता धराशाई पापियों की चाल,
ऐसा न्याय प्रिय है मेरा महाकाल,
उज्जैन भ्रमण को निकले,
मेरे महाकाल,
सवारी महाकाल की आई,
सवारी महाकाल की आईं,
ॐ नम: शिवाय ॐ नम: शिवाय ॥
मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में क्षिप्रा नदी के तट पर भगवान शिव महाकाल के रूप में विराजमान हैं। बारह ज्योतिर्लिंगों में यह तीसरे स्थान पर आता है। उज्जैन में स्थित यह ज्योतिर्लिंग देश का एकमात्र शिवलिंग है जो दक्षिणमुखी है। मंदिर से कई प्राचीन परंपराएं जुड़ी हुई हैं।
महाशिवरात्रि, हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान शिव और माता पार्वती के दिव्य विवाह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस पावन अवसर पर, प्रत्येक हिंदू घर में उत्साह और श्रद्धा का वातावरण होता है। शिव भक्त इस दिन विशेष रूप से व्रत रखते हैं और चारों पहर में भगवान शिव की आराधना करते हैं।
शिव पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, एक समय भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के बीच यह विवाद छिड़ गया कि उनमें से श्रेष्ठ कौन है। इस विवाद को शांत करने के लिए भगवान शिव ने एक अनंत प्रकाश स्तंभ ज्योति का रूप धारण किया।
महाशिवरात्रि का व्रत हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।